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छत्तीसगढ़ में भर्ती घोटाला: मृत कर्मचारियों के नाम प्रमोशन सूची में शामिल

छत्तीसगढ़ के आदिवासी कल्याण विभाग में भर्ती घोटाले का मामला सामने आया है, जिसमें 2013 में 559 पदों के लिए 605 लोगों को नौकरी दी गई। नियमों के अनुसार, नए कर्मचारियों को सीमित वेतन मिलना चाहिए था, लेकिन उन्हें अधिक वेतन दिया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रमोशन सूची में मृत कर्मचारियों के नाम भी शामिल हैं। इस मामले में जांच के बावजूद कार्रवाई में ढिलाई बरती गई है। जानें इस घोटाले के पीछे की पूरी कहानी।
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छत्तीसगढ़ में भर्ती घोटाला: मृत कर्मचारियों के नाम प्रमोशन सूची में शामिल

भर्ती में अनियमितताओं का खुलासा

छत्तीसगढ़ के आदिवासी कल्याण विभाग में भर्ती से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है। 2013 में 559 पदों के लिए निकाली गई वैकेंसी में 605 व्यक्तियों को नौकरी दी गई। नियमों के अनुसार, नए कर्मचारियों को पहले तीन वर्षों तक सीमित वेतन मिलना चाहिए था, लेकिन उन्हें शुरू से ही 10,890 रुपए मासिक वेतन दिया गया, जबकि निर्धारित राशि केवल 4,943 रुपए थी। इस गड़बड़ी के चलते सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ है, और यह स्थिति 16 महीनों तक किसी की नजर में नहीं आई।


प्रमोशन सूची में मृत कर्मचारियों के नाम

जब 10 साल बाद कर्मचारियों को स्थायी करने की प्रक्रिया शुरू की गई, तो यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि प्रमोशन सूची में 11 ऐसे कर्मचारियों के नाम थे, जो पहले ही निधन हो चुके थे। इनमें फूलकुमारी, गणेश राम, परखित कुमार और चंपा चौहान जैसे नाम शामिल हैं, जिनकी मृत्यु 2016 से 2021 के बीच हुई थी। इसके बावजूद, उन्हें दस्तावेजों में प्रमोट किया गया।


जांच के बावजूद कार्रवाई में ढिलाई

जब विभाग को इस मामले की शिकायत मिली, तो उन्होंने आंतरिक जांच की, जिसमें अनियमितताओं की पुष्टि हुई और रायगढ़ के सहायक आयुक्त को निलंबित किया गया। हालांकि, इसके बाद कार्रवाई ठंडी पड़ गई। जब यह मामला विधानसभा में उठाया गया, तो 2025 में दोबारा जांच के आदेश दिए गए। कांग्रेस ने इसे बीजेपी सरकार की 'घूसखोरी की नीति' करार दिया, जबकि बीजेपी ने इसे एक 'इंसानी गलती' बताते हुए सफाई दी।