जयपुर में ड्रोन से कृत्रिम बारिश का प्रयास विफल, लोगों की उम्मीदें टूटीं

रामगढ़ में ड्रोन-बेस्ड क्लाउड सीडिंग का प्रयोग
जयपुर के रामगढ़ में देश का पहला ड्रोन-आधारित 'क्लाउड सीडिंग' प्रयोग आयोजित किया गया, लेकिन यह पूरी तरह से असफल रहा। यह प्रयोग सरकार और एक निजी कंपनी के सहयोग से किया गया था, जिसमें बताया गया था कि ड्रोन उड़ान भरेगा, बादलों में रसायन छोड़ेगा और बारिश लाएगा। इस तकनीकी सेटअप के साथ-साथ आध्यात्मिक तैयारी भी की गई, जिसके लिए हैदराबाद से दो पंडितों को बुलाया गया। रामगढ़ में बांध के किनारे पूजा और हवन का आयोजन किया गया। इसके बाद सभी की नजरें आसमान पर थीं।
कृत्रिम बारिश के लिए उमड़ी भीड़
कृत्रिम बारिश देखने के लिए हजारों लोग उमड़े
दोपहर में ड्रोन उड़ाने का ऐलान किया गया, जिसे देखने के लिए हजारों लोग वहां पहुंचे। इस भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस को काफी मेहनत करनी पड़ी। कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा भी इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनने के लिए मौके पर पहुंचे, लेकिन जैसे ही ड्रोन ने उड़ान भरी, तकनीकी समस्या सामने आई। एक बार तो ड्रोन उड़ान भरने से पहले ही जमीन पर अटक गया।
ड्रोन की दूसरी उड़ान भी असफल
आधे घंटे बाद दोबारा उड़ा ड्रोन
आधे घंटे बाद जब ड्रोन को फिर से उड़ाया गया, तो वह मुश्किल से 100 मीटर की ऊंचाई पर जाकर सीधे नीचे गिर गया। इसके परिणामस्वरूप न तो बारिश हुई और न ही तकनीकी सफलता दिखाई दी। वहां खड़े लोगों की उम्मीदें चुराई गईं। लोगों के आक्रोश को देखते हुए कंपनी के कर्मचारियों ने ड्रोन को पैक किया और वहां से चले गए। कंपनी का कहना था कि तकनीक में कोई कमी नहीं थी, बल्कि भीड़ के कारण प्रयोग सफल नहीं हो सका।
क्लाउड सीडिंग टेस्ट का अगला चरण
रामगढ़ में किए जाएंगे क्लाउड सीडिंग टेस्ट
इस बीच, अमेरिका और बेंगलुरु की साझेदारी वाली कंपनी ने बताया कि रामगढ़ में 60 क्लाउड सीडिंग टेस्ट किए जाएंगे। अब तक देश में क्लाउड सीडिंग बड़े विमानों से होती रही है, लेकिन ड्रोन के माध्यम से सीमित क्षेत्र में बारिश कराने का यह पहला प्रयास था। लोग बारिश की एक-एक बूंद का इंतजार करते रहे, लेकिन आसमान से कुछ नहीं बरसा। बस रह गईं यादें, उम्मीदें और एक सवाल - क्या अगली बार यह तकनीक सफल होगी?