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जी-7 शिखर सम्मेलन 2025: पीएम मोदी का कनाडा दौरा और वैश्विक मुद्दे

कनाडा में 15 से 17 जून को होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की भागीदारी को लेकर चर्चा तेज हो गई है। इस सम्मेलन में अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, कनाडा और जापान शामिल होंगे। भारत, जो जी-7 का सदस्य नहीं है, फिर भी आमंत्रित किया गया है। जानिए जी-7 का गठन क्यों हुआ और भारत की इसमें भूमिका क्या है।
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जी-7 शिखर सम्मेलन 2025: पीएम मोदी का कनाडा दौरा और वैश्विक मुद्दे

जी-7 शिखर सम्मेलन का आमंत्रण

जी-7 शिखर सम्मेलन 2025: कनाडा में 15 से 17 जून को जी-7 शिखर सम्मेलन का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भाग लेंगे। इस सम्मेलन के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कॉर्नी ने पीएम मोदी को आमंत्रित किया है। कॉर्नी ने फोन पर मोदी को समिट में शामिल होने का न्योता दिया, जिस पर पीएम मोदी ने उन्हें धन्यवाद देते हुए चुनावी जीत की बधाई दी। इस सम्मेलन में अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, कनाडा और जापान शामिल होंगे। भारत जी-7 का सदस्य नहीं है, फिर भी उसे आमंत्रित किया गया है। आइए जानते हैं जी-7 का गठन क्यों किया गया था?


भारत की जी-7 में भागीदारी

भारत पिछले छह वर्षों से जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेता आ रहा है। आमतौर पर, मेज़बान देश ही भारत को आमंत्रित करता है। जी-7 देशों को ग्रुप ऑफ सेवन भी कहा जाता है, जो दुनिया के सात प्रमुख विकसित देशों का एक समूह है। हर साल एक देश इसकी अध्यक्षता करता है, और इस बार कनाडा की बारी है। पहले इस समूह में रूस भी शामिल था, लेकिन 2014 में क्रीमिया पर हमले के बाद उसे समूह से बाहर कर दिया गया था।


जी-7 का आर्थिक महत्व

दुनिया की जीडीपी में 28.4 प्रतिशत हिस्सेदारी


जी-7 समूह की स्थापना 1975 में हुई थी, जिसका उद्देश्य तेल उत्पादक देशों द्वारा उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों का सामना करना था। इस समूह का न तो कोई मुख्यालय है और न ही कोई कानूनी अस्तित्व। भारत इस समूह का सदस्य नहीं बन सका क्योंकि जब यह समूह अस्तित्व में आया, तब भारत गरीब देशों में था। इसके अलावा, जी-7 अपने सदस्यों का विस्तार नहीं करता, इसलिए अब तक कोई नया सदस्य इसमें शामिल नहीं हुआ है।


जी-7 देशों का दुनिया की जीडीपी में 28.4 प्रतिशत योगदान है। ये देश सालभर बैठकें करते हैं, जिनमें कई समझौतों पर चर्चा होती है। वैश्विक घटनाओं पर भी इनकी ओर से बयान जारी किए जाते हैं। भारत के अलावा, इस जी-7 शिखर सम्मेलन में ब्राजील, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, यूक्रेन और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल होंगे।


भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों की भागीदारी

5 बार हिस्सा ले चुके हैं मनमोहन सिंह


यह ध्यान देने योग्य है कि भारत के प्रधानमंत्री पहले भी जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेते रहे हैं। 2004 से 2014 के बीच, पीएम मनमोहन सिंह ने लगभग पांच बार इस सम्मेलन में भाग लिया। 2019 में, पीएम मोदी को पहली बार इस समिट का न्योता मिला, और उन्होंने फ्रांस में भाग लिया। इसके बाद, वे जर्मनी, जापान और इटली में आयोजित बैठकों में भी शामिल हुए।


सीजफायर पर चर्चा की संभावना

क्या सीजफायर पर ट्रंप से बात करेंगे पीएम?


अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सीजफायर के बाद, पीएम मोदी और ट्रंप की यह पहली मुलाकात होगी। ट्रंप इस मुद्दे पर लगातार बयान दे रहे हैं, लेकिन पीएम मोदी से इस विषय पर चर्चा करना मुश्किल लग रहा है। हालांकि, वे अन्य राष्ट्राध्यक्षों के साथ बैठक कर सकते हैं, जिनमें जापान, जर्मनी, इटली, फ्रांस और ब्रिटेन शामिल हैं।