जीएसटी वसूली में वृद्धि: क्या यह आर्थिक गतिविधियों में सुधार का संकेत है?

जीएसटी वसूली का हाल
अप्रैल के बाद मई में भी जीएसटी वसूली दो लाख करोड़ रुपये से अधिक होने को कुछ क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में सुधार का संकेत माना जा रहा है। इस पर खुशी व्यक्त की गई है। लेकिन क्या यह सच में सकारात्मक है?
मई में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) की वसूली लगभग 2.1 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा 2.36 लाख करोड़ रुपये था। अप्रैल के आंकड़े वास्तव में मार्च में हुई वसूली को दर्शाते हैं, इसलिए उन्हें स्वस्थ प्रवृत्ति का संकेत मानते हुए उन पर बहुत अधिक उत्साह नहीं दिखाया गया। मार्च वित्तीय वर्ष का अंतिम महीना होता है, जिसमें सामान्यतः अधिक टैक्स जमा होता है। फिर भी, मई में दो लाख करोड़ से अधिक की वसूली को अच्छी खबर माना गया है। सरकारी और अन्य क्षेत्रों में इसे आर्थिक गतिविधियों में सुधार का संकेत माना गया है। पिछले साल की तुलना में अप्रैल में 10.7 प्रतिशत और मई में 13.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे खुशी का माहौल बना है।
हालांकि, यह खुशी तब और मजबूत होती, जब सरकार इस वृद्धि का पूरा विवरण प्रदान करती कि यह किन मदों में और कितनी हुई। फिलहाल, यह ज्ञात है कि आयात शुल्क से अप्रैल में 20.8 प्रतिशत और मई में 25.2 प्रतिशत अधिक वसूली हुई। लेकिन इससे यह स्पष्ट नहीं होता कि वस्तुओं का आयात कितना बढ़ा या जीएसटी में वृद्धि का कितना हिस्सा बाहरी वस्तुओं की महंगाई के कारण आया है। इसके अलावा, जिन वस्तुओं का आयात बढ़ा, वे घरेलू उपभोग से संबंधित हैं या उत्पादन प्रक्रिया के घटक हैं, या निर्यात के लिए आयात की गई हैं।
यदि उपभोग या उत्पादन में वृद्धि होती है, तो यह सकारात्मक संकेत होगा। दूसरी ओर, घरेलू वसूली में महंगाई का योगदान भी जानना आवश्यक है। हाल ही में जनवरी से मार्च तक के जीडीपी आंकड़े आए थे, जिन्होंने अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में कमी की पुष्टि की थी। इससे यह भी स्पष्ट हुआ कि सरकारी खर्च और उपभोग अर्थव्यवस्था के प्रमुख पहलू बने हुए हैं। इसी क्रम में जीएसटी की वसूली होती है। इसलिए आंकड़ों की बारीकी में जाने की आवश्यकता है। अन्यथा, सकल वसूली में वृद्धि भले ही सरकार के लिए अच्छी खबर हो, लेकिन यह आम जनता की खुशहाली का संकेत नहीं हो सकती।