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जुबैदा बेगम: एक रॉयल महिला की संघर्ष भरी कहानी

फिल्म 'जुबैदा' केवल एक काल्पनिक कहानी नहीं है, बल्कि यह जुबैदा बेगम की वास्तविक जीवन की दास्तान है। एक रॉयल परिवार से संबंधित, जुबैदा का जीवन संघर्ष और दर्द से भरा था। जानिए कैसे उन्होंने अपने सपनों का पीछा किया और किस तरह की चुनौतियों का सामना किया। उनकी कहानी को उनके बेटे खालिद मोहम्मद ने लिखा और इसे श्याम बेनेगल ने पर्दे पर उतारा।
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जुबैदा बेगम: एक रॉयल महिला की संघर्ष भरी कहानी

जुबैदा बेगम की अनकही दास्तान

साल 2001 में प्रदर्शित हुई फिल्म 'जुबैदा', जिसमें करिश्मा कपूर ने मुख्य भूमिका निभाई, केवल एक काल्पनिक कथा नहीं थी, बल्कि यह एक वास्तविकता पर आधारित थी। इस फिल्म की कहानी जुबैदा बेगम की है, जो एक रॉयल परिवार से संबंधित थीं और जिनकी जिंदगी राजमहल की चमक के पीछे छिपे दर्द और संघर्ष से भरी हुई थी।


जुबैदा बेगम का जीवन बेहद जटिल और विशेष था। वह एक स्वतंत्र विचारों वाली मुस्लिम महिला थीं, जिन्हें फिल्में देखने और खुद फिल्मों में अभिनय करने का बहुत शौक था। हालांकि, उनके परिवार ने फिल्मों में काम करने की अनुमति नहीं दी।


बाद में, उन्होंने जोधपुर के महाराजा हनवंत सिंह से विवाह किया, जो विवादों में रहा क्योंकि जुबैदा पहले से विवाहित थीं और उनका तलाक हो चुका था। विवाह के बाद, जुबैदा रानी बन गईं, लेकिन उन्हें कभी भी वह सम्मान नहीं मिला जो एक रानी को मिलना चाहिए।


1952 में, एक विमान दुर्घटना में जुबैदा बेगम और उनके पति महाराजा हनवंत सिंह की मृत्यु हो गई। यह घटना उस समय पूरे देश में चर्चा का विषय बनी। जुबैदा की इस दुखद कहानी को उनके बेटे खालिद मोहम्मद ने लिखा और इसे श्याम बेनेगल ने फिल्म के रूप में प्रस्तुत किया।