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झारखंड में कुड़मी जाति के लिए आदिवासी दर्जे की मांग पर रेलवे ट्रैक पर धरना

झारखंड में कुड़मी जाति ने आदिवासी (एसटी) का दर्जा देने की मांग को लेकर रेलवे ट्रैक पर धरना दिया है। इस आंदोलन के कारण हावड़ा-नई दिल्ली मेन रेल लाइन बाधित हो गई है, जिससे कई ट्रेनों को रद्द या डायवर्ट करना पड़ा है। प्रदर्शनकारियों ने पारंपरिक वेशभूषा में ट्रैक पर बैठकर अपनी मांगों को उठाया है। प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं, जबकि आंदोलन के आयोजकों का कहना है कि यह एक ऐतिहासिक प्रदर्शन है।
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झारखंड में कुड़मी जाति के लिए आदिवासी दर्जे की मांग पर रेलवे ट्रैक पर धरना

कुड़मी जाति की आदिवासी दर्जे की मांग

कुड़मी जाति को आदिवासी (एसटी) का दर्जा देने की मांग को लेकर हजारों लोग शनिवार सुबह से झारखंड के 15 से अधिक स्थानों पर रेलवे ट्रैक पर धरना दे रहे हैं। इस आंदोलन के कारण हावड़ा-नई दिल्ली मेन रेल लाइन बाधित हो गई है, जिससे रेलवे को कई ट्रेनों को रद्द या डायवर्ट करना पड़ा है।


रांची के राय, मुरी, टाटीसिल्वे और मेसरा स्टेशन के निकट प्रदर्शनकारियों ने ट्रैक पर कब्जा कर लिया है। गिरिडीह, चक्रधरपुर, जामताड़ा, धनबाद और बोकारो में भी बड़ी संख्या में लोग ट्रेनों को रोकने के लिए ट्रैक पर उतर आए हैं। धनबाद के प्रधानखंता स्टेशन पर सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश की, जिसके चलते दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई। अधिकांश स्टेशनों पर प्रदर्शनकारी पारंपरिक वेशभूषा और ढोल-मांदर के साथ सुबह से ही ट्रैक पर बैठे हुए हैं।


कुड़मी समाज ने झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के 100 स्टेशनों पर रेल सेवाएं ठप करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें झारखंड के लगभग 40 स्टेशन शामिल हैं। प्रशासन ने देर रात तक पुलिस द्वारा बैरिकेडिंग कर लोगों को रोकने का प्रयास किया, लेकिन आंदोलनकारी सुबह चार बजे से ही स्टेशनों पर पहुंचने लगे। रेलवे परिचालन पर इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखने लगा है।


धनबाद मंडल ने हटिया-बर्द्धमान मेमू (13504) और हटिया-खड़गपुर मेमू (18036) को रद्द कर दिया है। धनबाद-अलाप्पुझा एक्सप्रेस (13351) का प्रस्थान समय 11:35 बजे से बदलकर शाम 6:35 बजे कर दिया गया है। रांची-चोपन एक्सप्रेस (18613) को भी रांची-टोरी मार्ग से डायवर्ट किया गया है। गिरिडीह के पारसनाथ, बोकारो के चंद्रपुरा और रांची के राय रेलवे स्टेशन पर आंदोलनकारियों ने ट्रैक जाम कर दिया, जिससे अप और डाउन लाइन पर परिचालन गंभीर रूप से प्रभावित हुआ।


आंदोलन के आयोजकों का कहना है कि यह एक ‘ऐतिहासिक प्रदर्शन’ है और इसके लिए गांव-गांव में प्रचार-प्रसार कर लोगों को जोड़ा गया है। रेलवे और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। आरपीएफ, जीआरपी और राज्य पुलिस बल की तैनाती के साथ-साथ सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन से निगरानी रखी जा रही है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और नुकसान की भरपाई कराई जाएगी। आजसू पार्टी और झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के विधायक जयराम महतो ने इस आंदोलन का समर्थन किया है।


जयराम महतो ने वीडियो संदेश में कहा कि यह संघर्ष केवल आदिवासी दर्जे के लिए नहीं, बल्कि कुरमाली भाषा के सम्मान और भूमि संरक्षण जैसे मुद्दों के लिए भी है।