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ट्रंप और पुतिन की अलास्का बैठक: कोई ठोस सहमति नहीं बनी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई मुलाकात ने कोई ठोस सहमति नहीं बनाई। इस बातचीत के परिणामों पर भारत समेत कई देशों की नजरें थीं। ट्रंप ने भारत के प्रति नरम रुख अपनाया है, लेकिन क्या भारत पर टैरिफ बढ़ेंगे? जानें इस महत्वपूर्ण बैठक के बारे में और क्या संकेत मिले हैं।
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अलास्का में ट्रंप-पुतिन की मुलाकात

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई बहुप्रतीक्षित बैठक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची। इस बंद कमरे में हुई वार्ता के बाद दोनों देशों ने साझा बयान जारी करने से परहेज़ किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि कोई ठोस सहमति नहीं बन सकी। भारत समेत कई देशों की नजरें इस बातचीत के परिणामों पर थीं।

हालांकि, बैठक के बाद ट्रंप का रुख भारत के प्रति कुछ नरम दिखाई दिया। ट्रंप, जो पहले भारत पर तीखे बयान दे चुके थे और रूस से तेल आयात को लेकर सख्त थे, अब थोड़ा पीछे हटते नजर आए। एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत पर और टैरिफ लगाए जाएंगे, तो उन्होंने कहा, “अभी इस पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। संभव है कि दो-तीन हफ्तों में स्थिति की समीक्षा की जाए, लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ नहीं।”

यह बयान फॉक्स न्यूज के साथ बातचीत के दौरान आया, जहां ट्रंप ने कहा कि "आज की बातचीत के बाद तत्काल टैरिफ की आवश्यकता महसूस नहीं होती।" पिछले महीने ट्रंप ने रूस से व्यापार करने वाले देशों पर प्रतिबंधों की चेतावनी दी थी, जिसमें भारत पर 25 प्रतिशत का टैरिफ भी शामिल था, जिसे बाद में दोगुना कर दिया गया। इनमें से कुछ शुल्क पहले से लागू हो चुके हैं, जबकि बाकी 27 अगस्त से प्रभाव में आएंगे।

ट्रंप ने यह भी कहा कि रूस ने "एक बड़ा तेल खरीदार खो दिया है", जो स्पष्ट रूप से भारत की ओर इशारा था। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हालात नहीं सुधरे तो और सख्त आर्थिक कदम उठाए जा सकते हैं, जिससे रूस की स्थिति और कमजोर हो सकती है।

अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भी हाल ही में कहा था कि यदि अलास्का बैठक अपेक्षित परिणाम नहीं देती, तो भारत पर और भी सेकेंडरी टैरिफ लगाए जा सकते हैं। ब्लूमबर्ग टीवी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “हमने पहले ही भारत पर कुछ सेकेंडरी टैरिफ लगाए हैं। अगर डिप्लोमेसी से बात नहीं बनी तो ये और बढ़ाए जा सकते हैं।” उन्होंने भारत को बातचीत में 'कठिन साझेदार' बताया और कहा कि व्यापार समझौतों पर सहमति बनाना आसान नहीं है।