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डॉक्टर मनसुख मंडाविया के श्रम सुधार: आधुनिकता और सामाजिक सुरक्षा की दिशा में कदम

केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री डॉक्टर मनसुख मंडाविया ने भारत के श्रम तंत्र को आधुनिक बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधारों की शुरुआत की है। उन्होंने डिजिटल टूल्स के माध्यम से रोजगार की मांग और आपूर्ति का विश्लेषण करने के लिए प्लेटफॉर्म विकसित किए हैं। इसके अलावा, श्रम कानूनों को सरल बनाने और सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इन सुधारों के सकारात्मक परिणाम भी दिखने लगे हैं, जैसे बेरोजगारी दर में कमी और श्रमिक भागीदारी में वृद्धि। हालांकि, कुछ चुनौतियां अभी भी मौजूद हैं, लेकिन ये कदम भारत को एक समावेशी और पारदर्शी श्रम व्यवस्था की ओर ले जा रहे हैं।
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डॉक्टर मनसुख मंडाविया के श्रम सुधार: आधुनिकता और सामाजिक सुरक्षा की दिशा में कदम

डॉक्टर मनसुख मंडाविया का श्रम सुधार अभियान


नई दिल्ली: केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री डॉक्टर मनसुख मंडाविया ने अपने कार्यभार ग्रहण करने के बाद से भारत के श्रम तंत्र में व्यापक सुधारों की शुरुआत की है। उन्होंने जून 2024 में मंत्री पद संभाला और उनके प्रयासों का मुख्य उद्देश्य तकनीकी नवाचार, कानूनों को सरल बनाना और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा को बढ़ाना है।


डिजिटल टूल्स की उपलब्धि

मंत्रालय की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि डिजिटल टूल्स का विकास है, जिसमें ई-श्रम माइक्रोसाइट्स और आक्यूपेशनल शॉर्टेज इंडेक्स शामिल हैं। ये प्लेटफॉर्म श्रमिकों को रोजगार की मांग और आपूर्ति का विश्लेषण करके उपयुक्त नौकरियों से जोड़ने में मदद करते हैं। इसके अलावा, मंत्रालय विभिन्न जॉब पोर्टल्स को एकीकृत कर एक समग्र रोजगार डेटा प्लेटफॉर्म बनाने पर कार्य कर रहा है।


श्रम कानूनों का सरलीकरण

भारत के श्रम कानूनों को सरल बनाना भी एक महत्वपूर्ण सुधार है। सरकार ने पुराने 29 कानूनों की जगह चार नए श्रम संहिताओं को लागू करने का निर्णय लिया है। इससे कंपनियों के लिए अनुपालन आसान होगा और श्रमिकों को बेहतर सुरक्षा मिलेगी। उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 तक अधिकांश राज्य इन नए कोड्स को अपनाएंगे।


सामाजिक सुरक्षा का विस्तार

मंत्रालय ने सामाजिक सुरक्षा को भी बढ़ावा दिया है। ईएसआईसी को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जा रहा है, जिससे श्रमिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। अब अधिक असंगठित और गिग श्रमिक ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क में शामिल हो रहे हैं।


रोजगार और कौशल विकास

रोजगार बढ़ाने और कौशल की कमी को दूर करने के लिए सरकार मॉडल करियर सेंटर, स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम और रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन योजनाओं को बढ़ावा दे रही है। इसके साथ ही, महिलाओं की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।


सकारात्मक परिणाम

श्रम सुधारों के सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। बेरोजगारी दर 2017-18 में 6 प्रतिशत थी, जो 2023-24 में घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है। श्रमिक भागीदारी में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सामाजिक सुरक्षा का दायरा भी 24 प्रतिशत से बढ़कर 49 प्रतिशत हो गया है, जो एक महत्वपूर्ण बदलाव है।


आधुनिक श्रम व्यवस्था की दिशा में

हालांकि, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सिस्टम की पहुंच और राज्यों द्वारा सुधारों के सही कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियां अभी भी मौजूद हैं। फिर भी, श्रम मंत्रालय के ये कदम भारत को एक आधुनिक, समावेशी और पारदर्शी श्रम व्यवस्था की ओर ले जा रहे हैं।