तेजस्वी मिन्हास की गिरफ्तारी: पुलिस की कहानी पर उठे सवाल
गिरफ्तारी और जमानत का घटनाक्रम
रविवार सुबह घर से किया था गिरफ्तार, शाम को मिली जमानत
जालंधर (विकास शर्मा): पंजाब बचाओ मोर्चा के नेता तेजस्वी मिन्हास को रविवार सुबह थाना नंबर 6 की पुलिस ने उनके निवास से गिरफ्तार किया। हालांकि, उन्हें उसी दिन शाम को जमानत मिल गई। तेजस्वी का कहना है कि पुलिस ने उनके खिलाफ जो आरोप लगाए, वे अदालत में खड़े नहीं हो पाए। उनके अनुसार, यदि पुलिस की कहानी को देखा जाए, तो सुबह 5 से 6 बजे के बीच पुलिस उनके घर पहुंची और उन्हें 11 बजे सिविल अस्पताल मेडिकल के लिए ले जाया गया। मेडिकल प्रक्रिया में 3 से 4 घंटे लगे, जिसके बाद उन्हें कोर्ट लाया गया, जहां उन्हें लगभग 4 बजे जमानत मिली। इस प्रकार, कुल मिलाकर यह घटनाक्रम लगभग 11 घंटे तक चला।
एफआईआर और पुलिस की कार्रवाई
तेजस्वी ने यह भी सवाल उठाया है कि यदि उनके खिलाफ 26 नवंबर को एफआईआर दर्ज की गई थी, तो क्या पुलिस ने उन्हें 7 दिसंबर से पहले सूचित किया था या उनके घर पर कभी छापेमारी की थी। तेजस्वी का कहना है कि पुलिस ने उनके साथ कोई संपर्क नहीं किया। एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि तेजस्वी मिन्हास ने गुरुद्वारा सिंह सभा के सामने लोगों को इकट्ठा कर सड़क पर बाधा डाली, जिससे ट्रैफिक जाम हो गया। तेजस्वी का कहना है कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई पक्षपातपूर्ण है और वे इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।
एनओसी और पुलिस कमिश्नर को सूचित करना
26 के मार्च की चार विभागों से ली थी एनओसी
तेजस्वी ने बताया कि उन्होंने 26 मार्च को बिजली विभाग, फायर ब्रिगेड, नगर निगम जालंधर और सिविल सर्जन कार्यालय से एनओसी प्राप्त की थी। इन सभी विभागों से एनओसी मिलने के बाद, उन्होंने पुलिस कमिश्नर कार्यालय को ईमेल के माध्यम से सूचित किया कि वे 26 मार्च को मार्च निकालने वाले हैं। तेजस्वी का कहना है कि उन पर जाम लगाने का आरोप गलत है, क्योंकि जाम उस दंगा विरोधी फोर्स की बस के कारण लगा था, जो सड़क पर खड़ी थी।
कोर्ट की प्रतिक्रिया
कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई: तेजस्वी
तेजस्वी मिन्हास ने कहा कि कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए पूछा कि वे इतने दिनों तक कहां थे। यह फटकार इस बात का संकेत है कि उनके साथ अन्याय हुआ है।
पुलिस का स्पष्टीकरण
हमें कोर्ट ने कोई फटकार नहीं लगाई: एसएचओ
थाना नंबर 6 के एसएचओ बलविंदर ने कहा कि कोर्ट ने उन्हें कोई फटकार नहीं लगाई। कुछ मामलों में पुलिस को एफआईआर के बाद गिरफ्तारी न करने का ध्यान रखना पड़ता है।
