दादरी विमान हादसे की याद में म्यूजियम का सपना अधूरा

दादरी विमान दुर्घटना: 28 वर्षों बाद भी म्यूजियम की योजना अधूरी
दादरी विमान हादसा: दादरी विमान दुर्घटना: म्यूजियम की योजना अधूरी, 28 साल बाद भी: दादरी विमान दुर्घटना (Dadri plane crash) हरियाणा के चरखी दादरी में हुई सबसे दुखद घटनाओं में से एक मानी जाती है। 12 नवंबर 1996 को आसमान में दो विमानों की टक्कर ने 349 लोगों की जान ले ली थी।
इस घटना की याद में एक म्यूजियम बनाने का प्रस्ताव था, लेकिन 28 साल बीत जाने के बाद भी यह सपना अधूरा है। प्रशासन की लापरवाही और अधिकारियों के तबादले ने इस स्मारक (memorial) को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। आइए, इस दुखद घटना और अधूरी योजना की सच्चाई को समझते हैं।
1996 का भयानक हादसा दादरी विमान दुर्घटना
12 नवंबर 1996 की शाम को चरखी दादरी के आसमान में सऊदी अरबिया एयरलाइंस और कजाकिस्तान एयरलाइंस के दो विमान आपस में टकरा गए। यह हादसा टिकान कलां गांव के निकट हुआ, जहां एक विमान गिरा। इस भयानक दुर्घटना (air crash) में 349 लोगों की जान चली गई।
यह घटना दुनिया की सबसे बड़ी हवाई दुर्घटनाओं में से एक मानी जाती है। इतने बड़े नुकसान के बावजूद, आज तक इस हादसे की याद में कोई स्मारक नहीं बनाया गया। स्थानीय लोग और मृतकों के परिवार इस उदासीनता से दुखी हैं। यह हादसा आज भी सभी के मन में ताजा है।
म्यूजियम की योजना क्यों रुकी?
2021 में चरखी दादरी के तत्कालीन डीसी राजेश जोगपाल ने म्यूजियम बनाने की पहल की। उन्होंने टिकान कलां में पंचायती जमीन पर स्मारक (memorial) बनाने का प्रस्ताव रखा। इसके लिए एसडीएम डॉ. विरेंद्र सिंह को जमीन का सर्वे करने का निर्देश दिया गया।
जोगपाल ने जिला खनन अधिकोष के बजट से म्यूजियम बनाने की योजना बनाई थी। लेकिन उनके तबादले के बाद यह योजना ठप हो गई। नए अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। नतीजतन, यह महत्वपूर्ण परियोजना (project delay) अधूरी रह गई।
परिजनों के लिए अधूरी उम्मीद
डीसी राजेश जोगपाल ने न केवल म्यूजियम की योजना बनाई, बल्कि मृतकों के परिजनों को स्मारक तक लाने के लिए मुफ्त हवाई यात्रा (free air travel) का प्रस्ताव भी रखा था। इसके लिए केंद्र सरकार, सऊदी अरब और कजाकिस्तान के दूतावासों से सहयोग मांगा जाना था।
यह योजना मृतकों के परिवारों को सम्मान देने का एक तरीका थी। लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण यह सपना भी पूरा नहीं हुआ। आज स्थानीय लोग सवाल उठाते हैं कि आखिर इस स्मारक का निर्माण कब होगा। यह मामला जिम्मेदारी और संवेदनशीलता (accountability) पर सवाल उठाता है।