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दिल्ली और आसपास के राज्यों के लिए सिंधु जल संधि का निलंबन: क्या है इसका महत्व?

केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सिंधु जल संधि के निलंबन के लाभों पर चर्चा की है, जो दिल्ली और आसपास के राज्यों के लिए जल आपूर्ति में सुधार लाएगा। उन्होंने बताया कि इस निर्णय से मिलने वाले अतिरिक्त जल का उपयोग अगले डेढ़ साल में किया जाएगा। इसके साथ ही, जल संकट से निपटने के लिए नई योजनाओं और बांध परियोजनाओं की जानकारी भी साझा की गई। जानें इस महत्वपूर्ण मुद्दे के बारे में और अधिक जानकारी।
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दिल्ली और आसपास के राज्यों के लिए सिंधु जल संधि का निलंबन: क्या है इसका महत्व?

सिंधु जल संधि का निलंबन

Indus Water Treaty: केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को बताया कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि के निलंबन से दिल्ली और उसके आस-पास के राज्यों को सीधा लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से भारत को मिलने वाला अतिरिक्त जल अगले डेढ़ साल में दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा।


जल संकट से निपटने की रणनीति

खट्टर ने कहा कि सरकार दिल्ली और अन्य उत्तरी राज्यों में जल संकट को हल करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। इस दिशा में, उन्होंने एक मास्टर ड्रेनेज योजना का अनावरण किया, जिसका उद्देश्य राजधानी में जलभराव और बाढ़ की समस्याओं का स्थायी समाधान करना है।


उन्होंने यह भी बताया कि ऑपरेशन सिंदूर इन राज्यों के लिए एक वरदान साबित हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करने की घोषणा के बाद, अब हमारे पास वह जल उपलब्ध है जो पहले पाकिस्तान की ओर जाता था। हमारी कोशिश है कि अगले एक से डेढ़ साल में इस जल को दिल्ली और अन्य राज्यों तक पहुंचाया जा सके।


सिंधु जल संधि का इतिहास

सिंधु जल संधि क्या है? भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हस्ताक्षरित इस संधि के तहत छह नदियों - सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, व्यास और सतलुज के जल बंटवारे का अनुपात तय किया गया था। इस समझौते के अनुसार, पाकिस्तान को 80% और भारत को केवल 20% जल आवंटित किया गया। इनमें से पांच नदियां भारत से होकर पाकिस्तान में बहती हैं।


अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी, भारत ने संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया। भारत ने पाकिस्तान को औपचारिक रूप से इसकी सूचना देते हुए आरोप लगाया कि पाकिस्तान बार-बार समझौते की शर्तों का उल्लंघन कर रहा है। पाकिस्तान ने इसे 'युद्ध की कार्रवाई' करार दिया।


बांध परियोजनाओं की योजना

बांध परियोजनाओं की योजना: केंद्रीय मंत्री खट्टर ने बताया कि दिल्ली को जल आपूर्ति बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार हथिनीकुंड बैराज के पास एक नया बांध बनाने की योजना बना रही है। यह परियोजना PwC की परामर्श रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हथिनीकुंड बैराज कोई बांध नहीं है और इसमें बड़ी मात्रा में जल संग्रहित नहीं किया जा सकता। यदि पास में बांध बनाया जाता है, तो यह न केवल बिजली उत्पादन में मदद करेगा बल्कि दिल्ली और पड़ोसी राज्यों के लिए 2 से 3 महीने की अतिरिक्त जल आपूर्ति भी सुनिश्चित करेगा।


रेणुका, लखवार और किशाऊ बांध से बढ़ेगी आपूर्ति:


रेणुका बांध: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में गिरि नदी पर।


लखवार बांध: उत्तराखंड के देहरादून जिले में यमुना नदी पर।


किशाऊ बांध: उत्तराखंड में टोंस नदी पर, जो यमुना की सहायक धारा है।


खट्टर ने कहा कि रेणुका और लखवार बांध का काम शुरू हो चुका है, जबकि किशाऊ बांध के समझौते में तकनीकी अड़चन है, जिसे कुछ महीनों में सुलझा लिया जाएगा। एक बार ये तीनों बांध चालू हो गए तो दिल्ली की पेयजल समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाएगी और अतिरिक्त आपूर्ति भी संभव होगी।