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दिल्ली की अदालत ने नजीब अहमद की गुमशुदगी मामले में CBI की जांच बंद करने की दी अनुमति

दिल्ली की अदालत ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को जांच बंद करने की अनुमति दी है। यह मामला 2016 में नजीब के लापता होने से संबंधित है। अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए कहा कि यदि भविष्य में कोई नया सबूत मिलता है, तो मामले को फिर से खोला जा सकता है। नजीब की मां ने इस रिपोर्ट को चुनौती दी है, आरोप लगाते हुए कि सीबीआई ने निष्पक्षता से जांच नहीं की। जानें इस मामले की पूरी जानकारी।
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दिल्ली की अदालत ने नजीब अहमद की गुमशुदगी मामले में CBI की जांच बंद करने की दी अनुमति

नजीब अहमद की गुमशुदगी का मामला

दिल्ली की एक अदालत ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी से संबंधित मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को अपनी जांच समाप्त करने की अनुमति दे दी है। यह मामला 15 अक्टूबर 2016 का है, जब एमएससी बायोटेक्नोलॉजी का छात्र नजीब अचानक जेएनयू के माही-मांडवी हॉस्टल से गायब हो गया था।


ज्योति माहेश्वरी ने क्लोजर रिपोर्ट को किया स्वीकार


अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACJM) ज्योति माहेश्वरी ने सीबीआई द्वारा प्रस्तुत क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में कोई नया सबूत मिलता है, तो इस मामले को फिर से खोला जा सकता है। सीबीआई ने 2018 में इस मामले की जांच समाप्त करने का निर्णय लिया था, क्योंकि नजीब का कोई सुराग नहीं मिला। इसके बाद, जांच एजेंसी ने दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुमति लेकर निचली अदालत में समापन रिपोर्ट पेश की थी।


नजीब की मां, फातिमा नफीस ने अदालत में इस रिपोर्ट को चुनौती दी और अपने वकील के माध्यम से कहा कि यह मामला "राजनीतिक दबाव" का परिणाम है। उनका आरोप है कि सीबीआई ने निष्पक्षता से जांच नहीं की। नजीब की गुमशुदगी से पहले, उसका कथित तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कुछ सदस्यों के साथ झगड़ा हुआ था। इसके बाद वह हॉस्टल से बाहर निकला और उसे आखिरी बार ऑटो में जाते देखा गया। हॉस्टल वार्डन ने भी इसकी पुष्टि की थी। पहले यह मामला दिल्ली पुलिस के अधीन था, लेकिन बाद में इसे सीबीआई को सौंप दिया गया।


सीबीआई ने अदालत को बताया कि झगड़े के बाद नजीब को सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन उसने इलाज कराने से मना कर दिया। इसके साथ ही, मेडिकल लीगल केस (MLC) भी दर्ज नहीं कराया गया, जिससे डॉक्टरों के बयान रिकॉर्ड नहीं हो सके।


मामला तकनीकी रूप से बंद


नजीब की मां के अनुसार, वह 13 अक्टूबर को हॉस्टल लौटा था। 15-16 अक्टूबर की रात को उसने अपनी मां को फोन कर कहा था कि कुछ गलत हुआ है। अगले दिन जब उसकी मां हॉस्टल पहुंची, तो नजीब लापता था और तब से उसका कोई पता नहीं चला। अब, अदालत के आदेश से यह मामला तकनीकी रूप से बंद हो गया है, लेकिन यदि कोई नया प्रमाण सामने आता है, तो इसे फिर से खोला जा सकता है।