दिल्ली की जहरीली हवा: गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर गंभीर प्रभाव
दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण
नई दिल्ली: दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या अब केवल सांस लेने में कठिनाई तक सीमित नहीं रह गई है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यह जहरीली हवा गर्भ में पल रहे बच्चों तक पहुंच रही है, जिससे उनके विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि PM2.5, जो 2.5 माइक्रोमीटर के बेहद महीन कण होते हैं, फेफड़ों में जाकर सीधे रक्त में मिल जाते हैं और शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंच सकते हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए चिंताएं
इसका मुख्य कारण यह है कि यह गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के लिए एक बड़ा खतरा बन रहा है। द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ, एनवायर्नमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स, JAMA पीडियाट्रिक्स और नेचर कम्युनिकेशंस जैसे जर्नल्स में प्रकाशित अध्ययनों ने पुष्टि की है कि PM2.5 प्लेसेंटल बैरियर को पार कर सकता है। शोधकर्ताओं ने प्लेसेंटल टिशू में पार्टिकुलेट मैटर का पता लगाया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अजन्मे बच्चे अपनी मां द्वारा सांस में ली गई प्रदूषित हवा के संपर्क में आ सकते हैं।
संभावित स्वास्थ्य समस्याएं
क्या-क्या हो सकती हैं दिक्कतें?
इस संपर्क के परिणामस्वरूप सूजन हो सकती है, भ्रूण तक न्यूट्रिएंट्स और ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो सकता है, और सेंट्रल नर्वस सिस्टम के विकास में रुकावट आ सकती है। अंतरराष्ट्रीय शोधों में भी यही बातें सामने आई हैं। भारत, चीन, यूरोप और अमेरिका में किए गए अध्ययनों में पाया गया है कि गर्भ में अधिक प्रदूषण के संपर्क से बच्चों का जन्म वजन कम हो सकता है, जिससे समय से पहले जन्म लेने की संभावना भी बढ़ जाती है।
बच्चों के मानसिक विकास पर प्रभाव
बच्चों के दिमाग पर कैसे पड़ता है असर?
इसके अलावा, दिमाग की ग्रे मैटर और व्हाइट मैटर के विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। कई अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि ऐसे बच्चे भविष्य में याददाश्त, ध्यान और समस्या सुलझाने की क्षमताओं में कमजोर हो सकते हैं। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने वाले बच्चों में पढ़ाई पर भी नकारात्मक प्रभाव देखा गया है। शोध बताते हैं कि जब प्रदूषण अधिक होता है, तो गणित और भाषा विषयों में प्रदर्शन कमजोर हो सकता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां
गर्भवती महिलाओं के लिए क्या है चेतावनी?
हालांकि प्रदूषण को ऑटिज्म का सीधा कारण नहीं माना जाता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह जोखिम बढ़ाने वाला एक कारक हो सकता है। स्वास्थ्य एजेंसियों का सुझाव है कि गर्भवती महिलाएं खराब हवा में बाहर जाने से बचें। घर के अंदर हवा को साफ रखने के लिए एचईपीए फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें। यदि बाहर जाना आवश्यक हो, तो एन95 मास्क पहनें।
