दिल्ली की बदलती तस्वीर: एक यादगार रैली की कहानी

दिल्ली की बदलती तस्वीर
हम में से किसी ने कहा, 'लगता है, कुछ बड़ा होने वाला है।' दूसरे ने पूछा, 'क्या होने वाला है?' मैंने कहा, 'यहां का माहौल कुछ बदलाव का संकेत दे रहा है।' हमारी बातचीत के बीच, पीछे से एक बुजुर्ग ने कहा, 'कुछ नहीं बदलने वाला।' हमने उनकी ओर देखा। उन्होंने आगे कहा, 'तुम लोग अभी छोटे हो। धीरे-धीरे तुम समझ जाओगे कि कुछ नहीं बदलता। जो बदलता है, उसका कोई अर्थ नहीं होता और जिसका अर्थ होता है, वह कभी नहीं बदलता।'
पिछले पचास वर्षों में, दिल्ली की छवि में तीन प्रमुख घटनाओं का योगदान रहा है: एशियाड 1982, मेट्रो का निर्माण, और 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स। इन घटनाओं ने शहर में कई फ्लाईओवर और अंडरपास का निर्माण किया, जिससे दिल्ली की स्काईलाइन में बदलाव आया। अधिकांश लोग यह नहीं सोच सकते कि इससे पहले दिल्ली कैसी थी।
आठवें दशक के प्रारंभ में, शिवाजी स्टेडियम की इमारत इतनी भव्य नहीं थी। यह एक साधारण स्टेडियम था, जहां हॉकी के मैच होते थे। एशियाड 1982 और कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद, इस स्टेडियम का स्वरूप बदल गया और पार्क की जगह बस टर्मिनल बन गया।
जब मैं 1974 में दिल्ली आया, तो मेरी दोस्ती मुकेश शर्मा और श्रीकृष्ण शर्मा से हुई। हम अक्सर शिवाजी स्टेडियम के पास मिलते थे, जहां हम गप्पें मारते और चाय पीते थे। उस समय हम साहित्य, फिल्में और खेलों पर चर्चा करते थे। एक दिन, श्रीकृष्ण ने कहा कि हमें रामलीला मैदान में जेपी की रैली में जाना चाहिए।
दिल्ली के बड़े शहर की खासियत होती है कि जब कुछ बड़ा हो रहा होता है, तब भी अन्य स्थानों पर सब कुछ सामान्य रहता है। हम मिंटो ब्रिज पहुंचे, जहां रैली की आवाज सुनाई दे रही थी। रामलीला मैदान में पहुंचते ही, वहां का माहौल हमें प्रभावित करने लगा।
भीड़ और पुलिस की मौजूदगी के बीच, जेपी ने भाषण दिया। उन्होंने कहा कि यह बदलाव की लहर है और प्रधानमंत्री को सत्ता छोड़ देनी चाहिए। उनकी बातों ने लोगों को आकर्षित किया।
रैली के बाद, हम चुपचाप लौट रहे थे। एक बार फिर, किसी ने कहा, 'लगता है, कुछ होने वाला है।' लेकिन पीछे से वही बुजुर्ग फिर बोले, 'कुछ नहीं बदलने वाला।' उनकी बातें हमें सोचने पर मजबूर कर गईं।
हमने मिंटो ब्रिज पार किया और शिवाजी स्टेडियम लौट आए। अंधेरा बढ़ रहा था और सबको अपनी-अपनी बस पकड़ने की चिंता थी। बाद में पता चला कि इस रैली ने देश में इमरजेंसी लगाने का बड़ा बहाना बना दिया। (जारी)