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दिल्ली में ऐतिहासिक रियल एस्टेट सौदा: नेहरू का बंगला 1,100 करोड़ में बिकने वाला है

दिल्ली का लुटियंस ज़ोन एक ऐतिहासिक रियल एस्टेट सौदे की ओर बढ़ रहा है, जहां पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का पहला आधिकारिक निवास लगभग 1,100 करोड़ रुपये में बिकने वाला है। यह बंगला, जो 3.7 एकड़ में फैला है, ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस द्वारा डिज़ाइन किया गया था। मौजूदा मालिकों ने इसकी शुरुआती कीमत 1,400 करोड़ रुपये रखी थी, लेकिन सौदा अब कम कीमत पर तय हुआ है। जानें इस संपत्ति के बारे में और इसके कानूनी पहलुओं के बारे में।
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दिल्ली में ऐतिहासिक रियल एस्टेट सौदा: नेहरू का बंगला 1,100 करोड़ में बिकने वाला है

दिल्ली का लुटियंस ज़ोन और ऐतिहासिक सौदा

दिल्ली का लुटियंस ज़ोन, जो अपनी भव्य कोठियों और वीआईपी क्षेत्रों के लिए जाना जाता है, अब एक महत्वपूर्ण रियल एस्टेट सौदे की ओर बढ़ रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का पहला आधिकारिक निवास, जो मोतीलाल नेहरू मार्ग पर स्थित है, लगभग 1,100 करोड़ रुपये में बिकने की तैयारी में है.


नेहरू का बंगला: एक ऐतिहासिक संपत्ति

यह बंगला, जो 3.7 एकड़ में फैला है, जवाहरलाल नेहरू का पहला आधिकारिक निवास था और इसमें लगभग 24,000 वर्ग फुट का निर्मित क्षेत्र है। इसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने डिज़ाइन किया था और यह लुटियंस बंगला ज़ोन का हिस्सा है, जिसे 1912 से 1930 के बीच विकसित किया गया था. इस क्षेत्र में कुल 3,000 बंगले हैं, जिनमें से अधिकांश सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों के पास हैं, जबकि लगभग 600 संपत्तियां निजी स्वामित्व में हैं.


सौदे की कीमत और डिमांड

इस संपत्ति की मौजूदा मालिक राजकुमारी कक्कर और बीना रानी हैं, जो राजस्थान के एक पूर्व शाही परिवार से संबंधित हैं। उन्होंने इस बंगले की शुरुआती कीमत 1,400 करोड़ रुपये रखी थी, लेकिन एक साल की ड्यू डिलिजेंस प्रक्रिया के बाद सौदा लगभग 1,100 करोड़ रुपये पर तय हुआ है। रिपोर्टों के अनुसार, इसे देश के पेय पदार्थ उद्योग से जुड़े एक प्रमुख कारोबारी द्वारा खरीदा जा रहा है.


कानूनी प्रक्रिया और नोटिस

इस संपत्ति के लेन-देन से पहले एक प्रमुख लॉ फर्म ने सार्वजनिक नोटिस जारी किया है। नोटिस में कहा गया है कि खरीददार इस आवासीय संपत्ति की खरीद प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की दिशा में है और मौजूदा मालिकों के टाइटल की जांच की जा रही है। यदि किसी व्यक्ति का इस संपत्ति पर दावा है, तो उसे सात दिनों के भीतर सूचित करना होगा.


रियल एस्टेट में एक नया मील का पत्थर

दिल्ली का यह सौदा न केवल इसके स्थान और ऐतिहासिक महत्व के कारण महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी कीमत के कारण भी यह देश का सबसे महंगा रेसिडेंशियल सौदा बन सकता है। इस क्षेत्र की संपत्तियां हमेशा से सीमित और अत्यधिक मूल्यवान रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की संपत्तियां केवल कुछ अरबपतियों की पहुंच में होती हैं, जिससे यह सौदा भारतीय रियल एस्टेट उद्योग में लंबे समय तक चर्चा का विषय बना रहेगा.