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दिल्ली में कार विस्फोट की जांच में चौंकाने वाले खुलासे

दिल्ली में 10 नवंबर को हुए कार विस्फोट की जांच में एक साधारण आटा चक्की का उपयोग खतरनाक रासायनिक मिश्रण तैयार करने के लिए किया गया था। जांच में मिले दस्तावेजों और मशीनरी ने एक बड़े आतंकवादी मॉड्यूल की योजना का खुलासा किया है। इस लेख में जानें कि कैसे इस चक्की का दुरुपयोग किया गया और क्या अन्य चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
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दिल्ली में कार विस्फोट की जांच में चौंकाने वाले खुलासे

आटा चक्की में छिपा था खतरनाक सामान


धौज गांव के एक साधारण घर में चल रही आटा चक्की पर किसी को भी संदेह नहीं हुआ होगा कि यहां खतरनाक सामग्री का पीसाव किया जा रहा है। दिल्ली में 10 नवंबर को हुए कार विस्फोट की जांच में यह सामने आया है कि सह-आरोपी डॉ. मुजम्मिल ने इस चक्की का उपयोग रासायनिक मिश्रण तैयार करने के लिए किया था।


खतरनाक योजना का खुलासा

फरीदाबाद और अल-फलाह यूनिवर्सिटी से प्राप्त दस्तावेजों, नोटबुक और मशीनरी ने इस मॉड्यूल की दो साल से चल रही खतरनाक योजना को उजागर किया है।


आटा पीसने वाली मशीन का दुरुपयोग

फरीदाबाद के जिस स्थान पर चक्की थी, वहां से पुलिस ने इलेक्ट्रिक मशीनें और सेटअप बरामद किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि साधारण आटा पीसने वाली मशीन को रासायनिक मिश्रण तैयार करने के लिए परिवर्तित किया गया था। तस्वीरों से यह भी पता चलता है कि उपकरणों का उपयोग बारूद जैसे मिश्रण को महीन करने के लिए किया जाता था, जिससे विस्फोट की क्षमता बढ़ाई जा सके।


विस्फोट के लिए उपयोग किया गया केमिकल

इस खुलासे से एक दिन पहले एक पुराना वीडियो सामने आया, जिसमें 2,600 किलो अमोनियम नाइट्रेट एक मौलवी के सुनसान घर में रखा हुआ था। उसी घर में मुजम्मिल ने 1,500 रुपये महीने किराए पर कमरा लिया था। जांचकर्ताओं का मानना है कि यही केमिकल इस मॉड्यूल की रीढ़ साबित हुआ।


साजिश की योजना

अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कमरा नंबर-13 और सह-आरोपी उमर उन नबी के कमरे नंबर-4 से नोटबुक, डायरी और कोडित दर्जनभर प्रविष्टियां मिलीं। इनमें 'ऑपरेशन' शब्द बार-बार लिखा गया था। तारीखें 8 से 12 नवंबर के बीच दर्ज थीं, जिससे कई हमलों की योजना का संकेत मिला।


आतंक का सफेद कोट

उमर वह i20 कार चला रहा था जो 10 नवंबर को रेड फोर्ट मेट्रो स्टेशन के पास धमाके में नष्ट हुई। उसने 2021 में यूनिवर्सिटी जॉइन की थी, जबकि मुजम्मिल छह महीने बाद शामिल हुआ। दोनों की एंट्री एक ही समय में होना जांच में महत्वपूर्ण कड़ी मानी जा रही है।


डायरी में दर्ज 2,530 नाम

डायरी में 2,530 लोगों के नाम दर्ज मिले हैं, जिनमें अधिकांश जम्मू-कश्मीर या फरीदाबाद क्षेत्र से संबंधित हैं। यह सूची बताती है कि मॉड्यूल का नेटवर्क कितना विस्तृत था और इसकी पहुंच किन-किन क्षेत्रों में थी।