दिल्ली में क्लाउड सीडिंग परीक्षण टला, मॉनसून की स्थिति का ध्यान रखा गया

क्लाउड सीडिंग परियोजना का स्थगन
दिल्ली में प्रदूषण और जल संकट से निपटने के लिए प्रस्तावित 'क्लाउड सीडिंग' तकनीक का परीक्षण फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। यह निर्णय दिल्ली सरकार ने राजधानी और उसके आस-पास के क्षेत्रों में सक्रिय मॉनसून की स्थिति को देखते हुए लिया है।दिल्ली सरकार ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (IIT-Kanpur) के सहयोग से इस क्लाउड सीडिंग परियोजना को शुरू करने की योजना बनाई थी। इस तकनीक का उद्देश्य बादलों में नमी बढ़ाकर कृत्रिम बारिश कराना है, जिससे वायु प्रदूषण को कम किया जा सके और जल संकट का समाधान किया जा सके।
हालांकि, अब जब मॉनसून दिल्ली में दस्तक दे चुका है और अच्छी बारिश हो रही है, अधिकारियों ने महसूस किया कि इस समय कृत्रिम बारिश के परीक्षण की कोई आवश्यकता नहीं है। क्लाउड सीडिंग आमतौर पर तब की जाती है जब प्राकृतिक बारिश की कमी होती है या वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर होता है। सक्रिय मॉनसून की स्थिति में इसके प्रभाव का मूल्यांकन करना चुनौतीपूर्ण होगा।
सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि सर्दियों में जब वायु प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ने की संभावना होगी, तब इस परियोजना को फिर से शुरू करने पर विचार किया जाएगा। विशेष रूप से, नवंबर और दिसंबर के महीनों में दिल्ली में वायु प्रदूषण अक्सर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है, जब पराली जलाने और ठंडी हवाओं के कारण प्रदूषक जमा हो जाते हैं।
यह निर्णय यह दर्शाता है कि सरकार प्राकृतिक मौसमी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए अपने पर्यावरणीय हस्तक्षेपों को समायोजित कर रही है। क्लाउड सीडिंग की यह परियोजना दिल्ली की पर्यावरण चुनौतियों से निपटने के लिए एक अभिनव समाधान मानी जा रही है।