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दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति: स्वास्थ्य पर पड़ रहा है असर

दिल्ली में सर्दियों के मौसम में प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती जा रही है, जिससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि 'गंभीर' श्रेणी की हवा सभी आयु वर्ग के लिए हानिकारक है। दिल्ली सरकार ने बिना वैध पीयूसी प्रमाणपत्र वाले वाहनों पर रोक लगाने और इलेक्ट्रिक बसों की संख्या बढ़ाने जैसे सख्त कदम उठाने की घोषणा की है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
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दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति: स्वास्थ्य पर पड़ रहा है असर

दिल्ली में प्रदूषण की समस्या


नई दिल्ली: सर्दियों के मौसम में ठंड के साथ प्रदूषण भी लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। उत्तर भारत के विभिन्न शहरों में वायु गुणवत्ता में लगातार गिरावट आ रही है, जिससे आम जीवन प्रभावित हो रहा है। सुबह के समय धुंध और जहरीली हवा ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है।


मौसम की स्थिरता और हवा की कम गति के कारण प्रदूषक कण वायुमंडल में जमा हो रहे हैं। इसका प्रभाव विशेष रूप से दिल्ली-NCR और उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में स्पष्ट है, जहां सांस लेना भी कठिन हो गया है।


दिल्ली-NCR में वायु गुणवत्ता का स्तर

दिल्ली-NCR में बुधवार की सुबह वायु गुणवत्ता बेहद खराब पाई गई। नोएडा का AQI 417 तक पहुंच गया, जो कि 'गंभीर' श्रेणी में आता है। दिल्ली का AQI 391 रहा, जो कि बहुत खराब और गंभीर स्तर के बीच है। ग्रेटर नोएडा में AQI 402, फरीदाबाद में 387 और गुरुग्राम में 370 दर्ज किया गया, जिससे पूरे क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ गई हैं।


अन्य शहरों में भी प्रदूषण की स्थिति

प्रदूषण का प्रभाव केवल दिल्ली-NCR तक सीमित नहीं है। चंडीगढ़ में AQI 397 दर्ज किया गया, जबकि लखनऊ की हवा भी 368 के स्तर पर पहुंच गई। जयपुर में AQI 277 रहा, जिसे 'खराब' श्रेणी में रखा गया है। भोपाल में स्थिति थोड़ी बेहतर रही, जहां AQI 228 दर्ज किया गया, लेकिन यह भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।


स्वास्थ्य पर बढ़ता खतरा

विशेषज्ञों के अनुसार, 'गंभीर' श्रेणी की हवा सभी आयु वर्ग के लिए हानिकारक होती है। इससे सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन, सिरदर्द और हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। बुजुर्ग, बच्चे, अस्थमा और हृदय रोग से ग्रसित लोगों को इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।


सरकार के सख्त कदम

बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि 18 दिसंबर से बिना वैध पीयूसी प्रमाणपत्र वाले वाहनों को पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा। इसके साथ ही प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कार्रवाई और चालान की प्रक्रिया को तेज किया गया है।


इलेक्ट्रिक बसों से राहत की उम्मीद

सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने पर भी जोर दिया है। योजना के तहत दिल्ली में 7,500 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी, जिससे वाहनों से होने वाले प्रदूषण में कमी आने की उम्मीद है। इसके अलावा प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों की पहचान कर संबंधित एजेंसियों को समाधान के निर्देश दिए गए हैं।