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दिल्ली में फिर से बढ़ा वायु प्रदूषण, AQI 292 तक पहुंचा

दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो गई है, जहाँ औसत AQI 292 तक पहुँच गया है। आनंद विहार, जहांगीरपुरी और बवाना जैसे क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है। वाहनों के उत्सर्जन और एनसीआर के बाहरी क्षेत्रों से आने वाले प्रदूषण ने इस समस्या को बढ़ाया है। मौसम की स्थिति भी प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद नहीं कर रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जल्द ही कदम नहीं उठाए गए, तो प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है।
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दिल्ली में फिर से बढ़ा वायु प्रदूषण, AQI 292 तक पहुंचा

दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति


नई दिल्ली: दिल्ली के निवासियों को एक बार फिर से गंभीर वायु प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है। शुक्रवार को राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुँच गया, जहाँ औसत AQI 292 दर्ज किया गया। पिछले दो दिनों में थोड़ी सुधार के बाद यह गिरावट चिंता का विषय बन गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, 39 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों में से 22 ने AQI 300 से अधिक दर्ज किया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है।


प्रदूषण की स्थिति का विश्लेषण

आनंद विहार, जहांगीरपुरी और बवाना जैसे क्षेत्रों में प्रदूषण की स्थिति और भी गंभीर रही। मॉनिटरिंग रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि शहर में हवा की गुणवत्ता बनाए रखने में स्थानीय उत्सर्जन और बाहरी स्रोत दोनों महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।


वायु गुणवत्ता का विस्तृत मानचित्र

दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता काफी खराब रही, जैसे आनंद विहार में AQI 377, जहांगीरपुरी में 372, बवाना में 363 और अशोक विहार में 333 दर्ज किया गया। अन्य मॉनिटरिंग स्टेशनों पर AQI 'खराब' से लेकर 'मध्यम' श्रेणी में था। CPCB के मानदंडों के अनुसार, 301-400 तक 'बहुत खराब' और 401 से ऊपर 'सीवियर' माना जाता है। राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर फिर से चिंता का विषय बन चुका है।


वाहनों का प्रदूषण मुख्य कारण

एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट के Decision Support System के आंकड़ों से पता चला है कि वाहनों के उत्सर्जन ने दिल्ली के प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदान दिया है, जो 18.5% तक पहुँच गया है। इसके बाद औद्योगिक क्षेत्रों से आने वाला धुआं 9.5%, निर्माण गतिविधियों से 2.5% और कूड़ा जलाने से 1.6% प्रदूषण में योगदान कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि वाहन प्रदूषण को रोकना अब प्राथमिकता होनी चाहिए।


एनसीआर का बाहरी प्रभाव

दिल्ली के बाहर के एनसीआर जिलों से आने वाला प्रदूषण भी हवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है। हरियाणा के झज्जर से 17.6% प्रदूषण दिल्ली में दर्ज किया गया, इसके बाद रोहतक 5.9% और सोनीपत 3.1% रहा। यह आंकड़ा दर्शाता है कि केवल दिल्ली के अंदर नियंत्रण पर्याप्त नहीं है, बल्कि आसपास के जिलों में भी प्रदूषण नियंत्रण योजनाओं को सख्ती से लागू करना आवश्यक है।


मौसम से राहत की कमी

मौसम की स्थिति ने इस बार प्रदूषण से लड़ने में ज्यादा मदद नहीं की। हवा की दिशा उत्तर-पश्चिमी थी लेकिन उसकी गति कमजोर रही, जिससे प्रदूषक कण फैलने के बजाय एकत्र हो गए। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, दिन का तापमान 22.6°C रहा, जो सामान्य से लगभग 2 डिग्री अधिक है, जबकि न्यूनतम तापमान 6.5°C रहा। सुबह के समय मध्यम धुंध की संभावना बनी हुई है, जिससे प्रदूषण स्तर और भी खराब हो सकता है।


महीने भर का ट्रैक रिकॉर्ड

इस महीने दिल्ली ने चार 'खराब' हवा वाले दिन देखे हैं और कोई 'संतोषजनक' दिन नहीं रहा। सबसे हाल का 'सीवियर' दिन मंगलवार को देखा गया, जब AQI 412 तक पहुँच गया था। पिछले दिसंबर में आठ 'खराब' और संतोषजनक दिनों का मिलाजुला रिकॉर्ड रहा था। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि प्रदूषण नियंत्रण में प्रशासनिक और सामाजिक स्तर पर कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में 'बहुत खराब' स्तर और बढ़ सकता है।