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दिल्ली में लिंग अनुपात में गिरावट: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की चुनौतियाँ

दिल्ली में लिंग अनुपात में गिरावट की समस्या गंभीर होती जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के बावजूद, हालिया रिपोर्ट में हर 1000 लड़कों पर केवल 920 लड़कियों का जन्म होना दर्शाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। इसके अलावा, कम शिक्षित महिलाओं की अधिक संतानें होने से भी जनसंख्या में असंतुलन आ रहा है। जानें इस मुद्दे के पीछे के कारण और इसके प्रभाव।
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दिल्ली में लिंग अनुपात में गिरावट: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की चुनौतियाँ

दिल्ली में लिंग अनुपात की चिंताजनक स्थिति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत बड़े उत्साह के साथ की थी, जो हरियाणा से शुरू हुआ था, जहां लिंग अनुपात की स्थिति सबसे खराब थी। इस अवसर पर प्रसिद्ध अभिनेत्री माधुरी दीक्षित भी उपस्थित थीं। हालांकि, एक दशक बाद भी लिंग अनुपात में कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं हुआ है। इसके विपरीत, दिल्ली में लिंग अनुपात में लगातार गिरावट देखी जा रही है। हालिया आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में हर 1000 लड़कों पर केवल 920 लड़कियां जन्म ले रही हैं। पिछले चार वर्षों से यह अनुपात गिरता जा रहा है, जहां पिछले साल यह 922 था और 2023 में 929 था।


यह रिपोर्ट आर्थिक और जनसांख्यिकी महानिदेशालय तथा दिल्ली के जन्म और मृत्यु के महापंजीयक कार्यालय द्वारा जारी की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि लिंग परीक्षण के कारण कन्या भ्रूण हत्या में वृद्धि हुई है, जिससे लिंग अनुपात में कमी आई है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कम शिक्षित महिलाएं अधिक बच्चों को जन्म देती हैं। जिन परिवारों में महिलाओं की शिक्षा बेहतर है, वहां जनसंख्या दर में कमी आई है। इसका अर्थ है कि दिल्ली में बेटी बचाने और पढ़ाने के प्रयासों में कमी आई है।