दिल्ली में वायु प्रदूषण: महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर के बढ़ते मामले
दिल्ली में वायु प्रदूषण का गंभीर स्तर
नई दिल्ली: दिल्ली में सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण का स्तर लगातार 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच रहा है। इसके परिणामस्वरूप, डॉक्टरों ने एक नई चिंता व्यक्त की है, जिसमें उन महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर के बढ़ते मामलों का उल्लेख किया गया है, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया।
फेफड़ों के कैंसर के मामलों में वृद्धि
मुंबई के जिनोवा शाल्बी अस्पताल की पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. तन्वी भट्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां महिलाएं बिना धूम्रपान किए भी फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित हो रही हैं। उन्होंने बताया कि नवंबर माह, जिसे फेफड़ों के कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है, इस बढ़ते खतरे की ओर ध्यान दिलाता है।
शहरी महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर का बढ़ता खतरा
पहले फेफड़ों के कैंसर को केवल धूम्रपान करने वाले पुरुषों से जोड़ा जाता था, लेकिन अब यह बीमारी शहरी महिलाओं में भी तेजी से फैल रही है। इसका मुख्य कारण जहरीली हवा, सेकेंड हैंड स्मोक और घर के अंदर मौजूद प्रदूषक हैं। दिल्ली, गुरुग्राम और मुंबई जैसे बड़े शहरों में वाहनों का धुंआ, निर्माण की धूल और सूक्ष्म कण (PM 2.5) महिलाओं के लिए एक अदृश्य खतरा बन गए हैं।
फेफड़ों के कैंसर के लक्षण
डॉ. भट्ट बताती हैं कि फेफड़ों का कैंसर तब होता है जब फेफड़ों की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर बन जाता है। इससे सांस लेने में दिक्कत होती है और यह शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है। उन्होंने कहा कि धूम्रपान के अलावा प्रदूषित हवा और घर के अंदर का धुआं भी कैंसर का कारण बन सकता है।
मुख्य लक्षणों में लगातार खांसी, सांस फूलना, सीने में दर्द, थकान और अचानक वजन कम होना शामिल हैं। डॉ. भट्ट ने सलाह दी कि यदि कोई महिला लंबे समय तक ऐसे लक्षण महसूस करे तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाए।
दिल्ली का बढ़ता AQI और स्वास्थ्य पर प्रभाव
दिल्ली का बढ़ता AQI, जान का दुश्मन
दिल्ली जैसे शहरों में जहां AQI 500 से ऊपर पहुंच जाता है, वहां सांस लेना एक सिगरेट पीने जितना नुकसानदेह हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस जहरीली हवा में कुछ घंटे रहने से भी फेफड़ों में सूजन, फाइब्रोसिस और अंततः कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
डॉ. भट्ट ने चेतावनी दी कि पर्यावरण और जीवनशैली के कारण धूम्रपान न करने वाली महिलाएं भी फेफड़ों के कैंसर की चपेट में आ रही हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि लोग प्रदूषण से बचाव के उपाय करें, मास्क पहनें, घरों में वेंटिलेशन रखें और नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं।
