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दिल्ली में सीवर सफाई के दौरान जहरीली गैस से हादसा, एक की मौत

दिल्ली के अशोक विहार में सीवर सफाई के दौरान जहरीली गैस के रिसाव से एक सफाई कर्मचारी की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से बीमार हो गए। यह घटना रात के समय हुई जब सफाई का कार्य चल रहा था। विशेषज्ञों का कहना है कि सुरक्षा उपायों की कमी के कारण ऐसे हादसे अक्सर होते हैं। जानें इस घटना के पीछे के कारण और इससे जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में।
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दिल्ली में सीवर सफाई के दौरान जहरीली गैस से हादसा, एक की मौत

दिल्ली में सीवर हादसा

दिल्ली में सीवर सफाई का हादसा: दिल्ली के अशोक विहार क्षेत्र में एक गंभीर घटना घटी, जहां सीवर की सफाई के दौरान जहरीली गैस के संपर्क में आने से एक सफाई कर्मचारी की जान चली गई। इस घटना में तीन अन्य कर्मचारी भी प्रभावित हुए हैं। यह हादसा रात करीब 12 बजे हुआ। मृतक की पहचान 40 वर्षीय अरविंद के रूप में हुई है।


जानकारी के अनुसार, अपार्टमेंट परिसर के निकट सीवर की सफाई का कार्य चल रहा था। अचानक सीवर से जहरीली गैस का रिसाव हुआ, जिससे वहां काम कर रहे कर्मचारी प्रभावित हुए। अरविंद की मौके पर ही मृत्यु हो गई, जबकि अन्य तीन कर्मचारियों को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।


जहरीली गैसों का रिसाव

जहरीली गैसों के रिसाव का कारण: सीवर सफाई के दौरान जहरीली गैसों का निकलना एक सामान्य समस्या है। सीवर में जमा कार्बनिक पदार्थ जैसे मल, मूत्र और खाद्य अपशिष्ट ऑक्सीजन की कमी में बैक्टीरिया द्वारा अपघटित होते हैं, जिससे हाइड्रोजन सल्फाइड, मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें बनती हैं। इनमें से हाइड्रोजन सल्फाइड विशेष रूप से खतरनाक होती है और इसकी गंध सड़े हुए अंडों जैसी होती है। इसके अलावा, सीवर में मौजूद डिटर्जेंट और औद्योगिक अपशिष्ट भी अमोनिया और क्लोरीन जैसी जहरीली गैसें उत्पन्न कर सकते हैं।




पिछले हादसे

पिछले हादसों का इतिहास: इससे पहले भी दिल्ली और अन्य क्षेत्रों में सीवर सफाई के दौरान ऐसे कई हादसे हो चुके हैं। सुरक्षा उपायों और आधुनिक उपकरणों की कमी के कारण सफाई कर्मचारी अक्सर जोखिम उठाते हैं। सफाईकर्मियों की सुरक्षा के लिए कई बार आवाज उठाई गई है, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आधुनिक मशीनों और सुरक्षा उपकरणों का उपयोग किया जाए, तो इस तरह के हादसों को रोका जा सकता है। इसके साथ ही, कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए ताकि वे खतरे की पहचान कर सकें और समय पर बचाव कर सकें।