दिल्ली विस्फोट: डॉ. उमर की सुसाइड बॉम्बर बनाने की योजना का खुलासा
ब्लास्ट से पहले खुद को 10 दिन तक कमरे में रखा बंद
दिल्ली में लाल किला के पास 10 नवंबर को हुए विस्फोट की जांच में नए तथ्य सामने आ रहे हैं। हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों के मोबाइल फोन से मिले वीडियो ने जांच एजेंसियों को चौंका दिया है। ये वीडियो डॉ. उमर द्वारा बनाए गए थे और 11 लोगों को भेजे गए थे।
इनमें से 7 लोग कश्मीरी मूल के हैं, जिनका अल फलाह यूनिवर्सिटी से संबंध है, जबकि अन्य 4 उत्तर प्रदेश, केरल और कर्नाटक के निवासी हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि डॉ. नबी अन्य सुसाइड बॉम्बर तैयार करने की योजना बना रहा था।
यूथ का ब्रेन वॉश करना मकसद
डॉ. उमर लगातार मोटिवेशनल वीडियो बनाकर युवाओं का ब्रेन वॉश करने का प्रयास कर रहा था। उसकी वायरल वीडियो की जांच से पता चला है कि वह अकेला सुसाइड बॉम्बर नहीं बनना चाहता था, बल्कि एक पूरी टीम तैयार कर रहा था। कश्मीर के आमिर रशीद अली ने उसे आई-20 कार दिलवाई थी, लेकिन जब उसने सुसाइड बॉम्बर बनने से इनकार किया, तो उसे ऐसे वीडियो भेजे गए।
टॉयलेट के लिए भी कमरे से बाहर नहीं निकला उमर
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि डॉ. नबी ने नूंह की हिदायत कॉलोनी में खुद को 10 दिन तक एक कमरे में बंद रखा। वह टॉयलेट या शौच के लिए भी बाहर नहीं निकला और कमरे के अंदर ही गंदगी फैलाता रहा। वह रात के अंधेरे में कभी-कभार खाना खाने के लिए बाहर निकलता था।
मकान मालकिन व उसका जीजा भी पुलिस हिरासत में
जब कमरे से गंदगी बाहर आने लगी, तो मकान मालकिन अफसाना ने अपने जीजा शोएब से शिकायत की। शोएब, जो यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिशियन है, ने ही डॉ. उमर को रहने के लिए कमरा दिलवाया था। अब शोएब और अफसाना दोनों जांच एजेंसियों की हिरासत में हैं।
फरीदाबाद में विस्फोटक मिलने की घटना को डीजीपी ने माना चूक, जांच के दिए निर्देश
हरियाणा के डीजीपी ओपी सिंह ने फरीदाबाद में विस्फोटक मिलने की घटना को सुरक्षा चूक माना है। उन्होंने इस मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। डीजीपी ने फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय का दौरा किया और पुलिस अधिकारियों को सुरक्षा खामियों की जांच करने का आदेश दिया।
