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दिल्ली सरकार का नया विधेयक: निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर लगेगा अंकुश

दिल्ली सरकार ने हाल ही में 'दिल्ली स्कूल शिक्षा विधेयक, 2025' पेश किया है, जिसका उद्देश्य निजी स्कूलों में फीस की अनियंत्रित वृद्धि को रोकना है। इस विधेयक के तहत बिना अनुमति फीस बढ़ाने वाले स्कूलों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। हालांकि, आम आदमी पार्टी ने इस विधेयक की आलोचना की है, इसे स्कूल प्रबंधन को लाभ पहुंचाने वाला बताया है। इस विधेयक के राजनीतिक प्रभाव और अभिभावकों के हितों पर इसके प्रभाव को लेकर चर्चाएँ तेज हो गई हैं।
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दिल्ली सरकार का नया विधेयक: निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर लगेगा अंकुश

दिल्ली निजी स्कूल फीस विनियमन विधेयक

दिल्ली निजी स्कूल फीस विनियमन विधेयक: दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों में फीस में अनियंत्रित वृद्धि को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सोमवार को दिल्ली विधानसभा में 'दिल्ली स्कूल शिक्षा विधेयक, 2025' पेश किया गया। यह विधेयक निजी स्कूलों द्वारा फीस में मनमाने तरीके से वृद्धि को नियंत्रित करने और शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाया गया है। विधानसभा में विधेयक पेश करते हुए शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने स्पष्ट कहा कि शिक्षा को व्यापार नहीं बनने दिया जाएगा। उन्होंने कहा, 'शिक्षा कोई बिकने वाली वस्तु नहीं है। हम उन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं जो मुनाफे के लिए शिक्षा बेच रहे हैं।'


विधेयक के मुख्य प्रावधान

इस विधेयक को 29 अप्रैल को दिल्ली कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई थी। इसके तहत निजी स्कूलों द्वारा बिना अनुमति या पारदर्शिता के की गई फीस वृद्धि को अवैध घोषित किया गया है। पहली बार नियमों का उल्लंघन करने पर स्कूलों पर ₹1 लाख से ₹5 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा। बार-बार उल्लंघन करने पर यह जुर्माना ₹2 लाख से ₹10 लाख तक बढ़ सकता है। यदि स्कूल अतिरिक्त वसूली गई फीस को समय पर वापस नहीं करते हैं, तो 20 दिनों के बाद जुर्माना दोगुना, 40 दिन बाद तिगुना और फिर हर 20 दिन में बढ़ता जाएगा। बार-बार नियम तोड़ने पर स्कूल प्रबंधन के सदस्य अपने पद से अयोग्य घोषित किए जा सकते हैं और भविष्य में शुल्क संशोधन का प्रस्ताव देने का अधिकार भी छीन लिया जाएगा।


सरकार का दावा

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस विधेयक को अभिभावकों के हित में बताते हुए कहा, 'यह विधेयक स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाएगा और अभिभावकों के अधिकारों की रक्षा करेगा।' सरकार का कहना है कि यह कदम शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ गुणवत्ता सुनिश्चित करेगा।


AAP की आलोचना

हालांकि, आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस विधेयक की कड़ी आलोचना की है। पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी और अन्य नेताओं ने इसे स्कूल प्रबंधन को लाभ पहुंचाने वाला बताया है। उन्होंने सवाल उठाया, 'अगर यह विधेयक वास्तव में जनहित में है, तो इसे जनता के सामने सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया?' पार्टी का आरोप है कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से निजी स्कूलों को संरक्षण दे रही है।


राजनीतिक विवाद

जैसे-जैसे यह विधेयक विधानसभा में आगे बढ़ेगा, इसके विरोध और समर्थन में राजनीतिक बयानबाजी और तेज होती दिखाई दे सकती है। अभिभावकों, स्कूल प्रबंधन और राजनीतिक दलों की नजरें इस विधेयक की अंतिम रूपरेखा और लागू होने की प्रक्रिया पर टिकी हैं।