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दिवाली से पहले EPF नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव

दिवाली से पहले कर्मचारियों के लिए खुशखबरी आई है, क्योंकि सरकार ने EPF नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। नए नियमों के तहत, कर्मचारियों को निकासी में अधिक लचीलापन मिलेगा, जिससे वे अपनी पूरी राशि निकाल सकेंगे। इसके अलावा, शिक्षा और विवाह के लिए निकासी की सीमा भी बढ़ाई गई है। अब निकासी प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल हो गई है, जिससे कर्मचारियों को त्वरित राहत मिलेगी। जानें इन बदलावों के बारे में विस्तार से।
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दिवाली से पहले EPF नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव

PF नियमों में बदलाव से कर्मचारियों को मिलेगी राहत


दिवाली से पहले PF नियमों में बदलाव: कर्मचारियों के लिए यह समय खुशियों का है, क्योंकि सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) के नियमों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं। इन परिवर्तनों से निवेशकों और खाताधारकों के लिए निकासी और सेवा से जुड़े नियमों को सरल बनाया गया है।


श्रम मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में EPFO की बैठक में लिए गए निर्णयों को संगठन के इतिहास में सबसे बड़े सुधारों में से एक माना जा रहा है।


निकासी की नई छूट

EPFO बोर्ड ने आंशिक निकासी के जटिल नियमों को समाप्त कर दिया है। पहले 13 श्रेणियों में निकासी के प्रावधान थे, जिन्हें अब तीन मुख्य श्रेणियों में सरल बनाया गया है: आवश्यक जरूरतें (जैसे बीमारी, विवाह, शिक्षा), आवास संबंधी जरूरतें और विशेष परिस्थितियां (जैसे महामारी या प्राकृतिक आपदा)। सबसे बड़ी राहत यह है कि अब सदस्य अपने खाते में जमा पूरी राशि, यानी कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का अंशदान- 100% तक निकाल सकते हैं। इस निर्णय से लाखों कर्मचारियों को आर्थिक आपात स्थिति में त्वरित राहत मिलेगी।


शिक्षा और विवाह के लिए निकासी में ढील

नई नीति के तहत शिक्षा और विवाह के लिए निकासी सीमा को बढ़ाया गया है। अब सदस्य शिक्षा के लिए अपने बैलेंस का 10 गुना और विवाह के लिए 5 गुना तक निकाल सकेंगे। पहले केवल तीन बार आंशिक निकासी की अनुमति थी, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है। इसके साथ ही, किसी भी प्रकार की आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा अवधि को 12 महीने कर दिया गया है, जिससे नए कर्मचारियों को भी जरूरत पड़ने पर राहत मिल सकेगी।


सेवानिवृत्ति के लिए 25% बैलेंस नियम

EPFO ने एक नया प्रावधान जोड़ा है, जिसके तहत हर सदस्य को अपने खाते में कुल जमा राशि का कम से कम 25% हिस्सा बनाए रखना होगा। इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सदस्य भविष्य के लिए पर्याप्त बचत कर सकें और ब्याज के रूप में मिलने वाले 8.25% रिटर्न का लाभ उठाते रहें। सरकार का मानना है कि इससे कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता में वृद्धि होगी।


डिजिटल और तेज निकासी प्रक्रिया

निकासी प्रक्रिया अब पूरी तरह डिजिटल हो गई है। अब किसी दस्तावेज की फिजिकल कॉपी जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। सभी दावे ऑनलाइन स्वतः निपटाए जाएंगे और पैसे सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर होंगे। अंतिम निपटान की समय सीमा भी बढ़ाई गई है- EPF निकासी के लिए अब 2 महीने से 12 महीने और पेंशन के लिए 2 महीने से 36 महीने तक का समय दिया जाएगा। इससे कर्मचारियों को निकासी प्रक्रिया में अधिक लचीलापन मिलेगा।


EPFO का यह कदम न केवल कर्मचारियों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि सरकार की 'डिजिटल इंडिया' और 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' नीति का भी हिस्सा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन सुधारों से न केवल खाताधारकों का भरोसा बढ़ेगा, बल्कि संगठन में पारदर्शिता और कार्यकुशलता भी आएगी। दिवाली से पहले यह बदलाव देश के करोड़ों कर्मचारियों के लिए किसी बोनस से कम नहीं हैं।