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देव दीपावली: पूजा और खरीदारी का उत्सव

देव दीपावली का पर्व इस साल 5 नवंबर को मनाया जाएगा, जिसमें भगवान शिव और मां लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। इस दिन दीप जलाना शुभ माना जाता है। शादी के सीजन की शुरुआत के साथ कपड़ा मार्केट में रौनक बढ़ गई है, जहां विभिन्न प्रकार के लहंगे और साड़ियाँ बिक रही हैं। ज्योतिषी गिरीश आहूजा ने दीपदान की विधि और इसके महत्व के बारे में बताया है। जानें इस पर्व के विशेष योग और खरीदारी की तैयारी के बारे में।
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देव दीपावली: पूजा और खरीदारी का उत्सव

देव दीपावली का पर्व

अंबाला (Dev Deepawali)। हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को देव दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसे त्रिपुरोत्सव और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषी गिरीश आहूजा के अनुसार, इस वर्ष देव दीपावली की तिथि 4 नवंबर की रात 10:37 बजे से लेकर 5 नवंबर को शाम 6:49 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, यह पर्व 5 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।


दीप जलाने का महत्व

देव दिवाली के दिन घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाना शुभ माना जाता है। इस पर्व का शुभ मुहूर्त शाम 5:30 बजे से रात 8:10 बजे तक रहेगा। यह वह समय है जब शिव जी ने त्रिपुरासुर का वध किया था और देवता पृथ्वी पर आए थे। इसके बाद शादियों का सीजन शुरू हो जाएगा, जिससे बाजार में रौनक बढ़ने लगी है। खासकर कपड़ा मार्केट में व्यापारी विशेष तैयारी कर रहे हैं।


कपड़ा मार्केट में रौनक

मुंबई के शरारे-गरारे खूब बिक रहे


शादी के सीजन की शुरुआत के साथ कपड़ा मार्केट में भीड़ बढ़ने लगी है। हरियाणा, पंजाब, शिमला, चंडीगढ़, रोहतक, जींद और पानीपत से ग्राहक यहां पहुंच रहे हैं। सुहाना साड़ी के संचालक सौरभ सचदेवा ने बताया कि शादी का सीजन शुरू हो चुका है और मार्केट में रौनक आ गई है। अंबाला शहर की कपड़ा मार्केट अब लोगों की पहली पसंद बन गई है।


मार्केट में फर्रुखाबाद के लहंगे, सूरत की साड़ी और कलकत्ता की अनारकली सूट की मांग बढ़ रही है। कलकत्ता से आने वाले हैंडवर्क सूट भी पसंद किए जा रहे हैं। महिलाएं मुंबई के शरारे और गरारों को भी खरीद रही हैं। लहंगे की कीमत 5 हजार से लेकर 2.50 लाख रुपये तक है, जबकि साड़ी और सूट की कीमत 50 हजार रुपये तक है। हैंडवर्क के एक सूट को बनाने में 3 महीने तक का समय लगता है।


दीपदान की विधि

ऐसे करें दीपदान


ज्योतिषी गिरीश आहूजा ने बताया कि दीपदान से पहले स्नान करना और स्वच्छ वस्त्र पहनना आवश्यक है। दीये जलाने के लिए गाय का घी सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि इससे देवताओं को शीघ्र प्रसन्नता मिलती है। यदि घी उपलब्ध न हो, तो तिल के तेल का उपयोग भी किया जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार, देव दिवाली के दिन जो भी व्यक्ति घर या गंगा घाट के किनारे दीपक जलाता है, उसके जीवन में धन, आध्यात्मिकता, ज्ञान और सुख-सौभाग्य की कमी नहीं होती है।


शिव वास योग का महत्व

Dev Deepawali: देव दिवाली पर शिव वास योग


देव दीपावली के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का विशेष महत्व है। इस बार देव दीपावली पर शिववास जैसा शुभ योग भी बनने जा रहा है, जो शाम 6:48 बजे शुरू होगा। इस शुभ योग में भगवान शिव, माता पार्वती और श्री लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से कई गुना फल प्राप्त होता है।