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नई संत संघ 'माया मदन सुदर्शन मुनि संघ' की स्थापना, अरुण चंद्र महाराज बने पहले संघ प्रमुख

दिल्ली के उत्तरी पीतमपुरा में जैन समाज ने 'माया मदन सुदर्शन मुनि संघ' की स्थापना की। इस ऐतिहासिक अवसर पर अरुण चंद्र महाराज को पहले संघ प्रमुख के रूप में सम्मानित किया गया। सभा में हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया। कार्यक्रम ने जैन समाज की एकता और अनुशासन का संदेश दिया। जानें इस महत्वपूर्ण घटना के बारे में और अधिक जानकारी।
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नई संत संघ 'माया मदन सुदर्शन मुनि संघ' की स्थापना, अरुण चंद्र महाराज बने पहले संघ प्रमुख

दिल्ली में ऐतिहासिक प्रवचन सभा का आयोजन


माया मदन सुदर्शन मुनि संघ, दिल्ली : उत्तरी पीतमपुरा के जैन स्थानक में आयोजित एक विशाल प्रवचन सभा ने जैन समाज के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन का निर्माण किया। इस सभा में उपस्थित आठ संतों और हजारों श्रद्धालुओं ने सर्वसम्मति से एक नए संत संघ 'माया मदन सुदर्शन मुनि संघ' की स्थापना की घोषणा की। अरुण चंद्र महाराज को सभी संतों ने सामूहिक रूप से 'संघ प्रमुख की चादर' ओढ़ाकर पहले संघ प्रमुख के रूप में सम्मानित किया।


जयकारों के बीच चादर समर्पण

सभा में संतों ने एकमत होकर कहा कि संघ की मर्यादा और अध्यात्मिक मार्गदर्शन में महाराज श्री सबसे योग्य हैं। चादर समर्पण का दृश्य देखकर पूरा स्थानक जयकारों से गूंज उठा। इसी सभा में, श्री अरुण चंद्र जी महाराज ने संघ संचालन का मार्ग-पत्र जारी किया, जिसमें यह महत्वपूर्ण व्यवस्था की गई कि वर्तमान और भविष्य के सभी संतों का गुरु वही होगा जो संघ प्रमुख होगा। यह निर्णय जैन संघ व्यवस्था को एकता और अनुशासन की नई दिशा प्रदान करता है।


श्रद्धालुओं की भारी भीड़

दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और अन्य उत्तर भारतीय राज्यों से बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए। सुबह से लेकर देर शाम तक स्थानक परिसर श्रद्धालुओं से भरा रहा। इस अवसर पर गुरु सेवक परिवार ने रामलीला मैदान में भव्य दो दिवसीय व्यापार मेला आयोजित किया, जिसमें 400 से अधिक स्टॉल लगे थे।


जैन समाज की एकता का प्रतीक

यह आयोजन जैन समाज के लिए केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एकता, अनुशासन, समर्पण और आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक बन गया। नए संघ की स्थापना और अरुण चंद्र महाराज का चयन जैन धर्म के लिए एक नया अध्याय है।