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नवटोली गांव का रहस्य: क्या है रात का अजीब घटनाक्रम?

बिहार और झारखंड की सीमा पर बसा नवटोली गांव इन दिनों एक रहस्य बना हुआ है। यहां हर रात मोबाइल फोन अचानक बंद हो जाते हैं, इंटरनेट गायब हो जाता है, और गांव वाले अजीब घटनाओं का सामना कर रहे हैं। बुजुर्ग महिलाएं नींद न आने की शिकायत कर रही हैं, जबकि कई परिवार अपने बच्चों को नींबू और ताबीज के सहारे सुलाने लगे हैं। क्या यह किसी अनदेखे माइक्रोवेव रेडिएशन का प्रभाव है? जानें इस रहस्य के पीछे की सच्चाई और क्या सरकार इस मामले को सुलझा पाएगी।
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नवटोली गांव का रहस्य: क्या है रात का अजीब घटनाक्रम?

रहस्यमय नवटोली गांव की कहानी

राष्ट्रीय समाचार: बिहार और झारखंड की सीमा पर स्थित 'नवटोली' गांव हाल ही में एक रहस्य बन गया है। यहां हर रात कुछ ऐसा घटित होता है, जिसे न तो विज्ञान समझ पा रहा है और न ही सरकार। जैसे ही रात के 12 बजते हैं, गांव के सभी मोबाइल फोन अचानक बंद हो जाते हैं। कॉल नहीं लगती, इंटरनेट गायब हो जाता है और बैटरी भी जैसे पूरी तरह खत्म हो जाती है। गांव वालों का कहना है कि रात के समय आसमान से कुछ 'अजीब' उतरता है। बुजुर्ग महिलाएं कहती हैं, "नींद नहीं आती, जैसे कोई दवा चढ़ा दे... हम खुद को खो देते हैं।" कई परिवार अब अपने बच्चों को नींबू, नमक और ताबीज के सहारे सुलाने लगे हैं। कुछ घर खाली हो चुके हैं। गांव के सरपंच ने इस अजीब स्थिति की शिकायत दिल्ली तक पहुंचाई है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।


तीन महीने से जारी डरावनी घटनाएं

जब पीड़ितों को अस्पताल ले जाया गया, तो डॉक्टर भी हैरान रह गए। न तो कोई ज़हर मिला और न ही कोई बीमारी। मेडिकल रिपोर्ट्स 'क्लीन' थीं, लेकिन शरीर में थकावट और दिमाग में सुन्नपन पाया गया। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि यह किसी अनदेखे माइक्रोवेव रेडिएशन का प्रभाव हो सकता है—एक ऐसा 'स्लीप सिग्नल' जो इंसानी चेतना को कुछ घंटों के लिए पूरी तरह 'स्विच ऑफ' कर देता है।


मोबाइल टॉवर सक्रिय, फिर भी नेटवर्क क्यों गायब?

गांव में तीन मोबाइल टॉवर सरकारी रिकॉर्ड में सक्रिय हैं। फिर भी हर रात 11:59 से सुबह 6:01 तक नेटवर्क पूरी तरह गायब हो जाता है। एक रेडियो इंजीनियर ने बताया कि शायद "स्पूफिंग वेव" नाम की कोई रेड फ्रीक्वेंसी इन टॉवर्स को प्रभावित कर रही है। ड्रोन सर्वे में गांव के पास एक पुराना ब्रिटिश रेडियो टॉवर मिलने से संदेह और गहरा हो गया है।


क्या नवटोली 'AI रेड ज़ोन' बन चुका है?

AI रेडियो फ्रीक्वेंसी विशेषज्ञ पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि भारत के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में अनधिकृत माइक्रोवेव परीक्षण हो रहे हैं। क्या नवटोली ऐसा ही कोई ज़ोन है? या फिर यह चीन से जुड़े किसी साइबर प्रयोग का लक्ष्य है? कुछ थ्योरीज़ पुराने ब्रिटिश इन्फ्रास्ट्रक्चर के फिर से सक्रिय होने की भी बात कर रही हैं।


रात की गतिविधियां, दिन की उलझन

सरकारी टीमों की अनुपस्थिति में, गांव वालों ने अपने घरों के बाहर CCTV और कैमरे लगाना शुरू कर दिया है। अब कोई भी हलचल, कोई भी रात की परछाईं रिकॉर्ड की जा रही है। फिर भी, जवाब अब तक एक रहस्य बना हुआ है। प्रशासन ने प्रारंभिक स्तर पर स्वास्थ्य विभाग, टेलीकॉम और विज्ञान एजेंसियों से रिपोर्ट्स मंगवाई थीं, लेकिन कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। राज्य स्तर पर अधिकारियों की टीमें भी गांव पहुंचीं, लेकिन वे केवल कंधे उचका कर लौट गईं। यह कहना मुश्किल है कि यह मामला विज्ञान से जुड़ा है या सुरक्षा से—शायद इसी उलझन में हर एजेंसी असहाय खड़ी है। सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है, लेकिन अब तक जो जानकारी मिली है, वह अधूरी है।


अब सवाल नेटवर्क का नहीं, चेतना का है

नवटोली में जो घटनाएं हो रही हैं, वे केवल तकनीकी गड़बड़ी नहीं हैं। यह चेतना के नियंत्रण की कोशिश है, या फिर मानव मस्तिष्क पर कोई प्रयोग। इस गांव में हर रात एक नई थ्योरी जन्म लेती है—AI वेव्स, रेडिएशन, माइक्रोवेव परीक्षण या फिर कोई विदेशी हस्तक्षेप। जो भी हो, नवटोली अब केवल एक गांव नहीं रह गया है। यह शायद भारत की चेतना पर सबसे खतरनाक प्रयोगशाला बन चुका है।