निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा पर नया मोड़: अफवाहें और सच्चाई

निमिषा प्रिया की सज़ा पर भ्रम
हाल ही में निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा को रद्द करने की खबरें आई थीं, लेकिन यह जानकारी अब गलत साबित हो रही है। सूत्रों के अनुसार, यह एक भ्रम था जिसे भारतीय ग्रैंड मुफ़्ती अबुबकर मुस्लैयार के कार्यालय ने स्पष्ट किया है।सोमवार को, आंध्र प्रदेश के कंथापुरम स्थित मुस्लैयार के कार्यालय ने एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा को रद्द कर दिया गया है, जो पहले अस्थायी रूप से निलंबित की गई थी। हालांकि, बाद में यह स्पष्ट हुआ कि यमन सरकार से इस फैसले की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
इस बीच, भारतीय अधिकारियों ने इस मामले पर ध्यान दिया है, लेकिन ग्रैंड मुफ़्ती और पॉल द्वारा किए गए दावों की पुष्टि नहीं की गई है। यह घटनाएँ तब सामने आईं जब प्रिया की फांसी 16 जुलाई को निर्धारित थी, लेकिन भारतीय समुदाय और अधिकारियों के हस्तक्षेप से इसे स्थगित कर दिया गया था।
निमिषा प्रिया का विवादास्पद जीवन
केरल के पलक्कड़ ज़िले की निवासी निमिषा प्रिया एक प्रशिक्षित नर्स हैं, जिन्होंने 2008 में बेहतर नौकरी के अवसरों की तलाश में यमन का रुख किया। वहां, उन्होंने यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर सना में एक क्लिनिक खोला। लेकिन यह साझेदारी विवादों में बदल गई जब महदी ने उन्हें परेशान करना शुरू किया और उनका पासपोर्ट छीन लिया।
महदी के इन कार्यों ने प्रिया को भारत लौटने के लिए संघर्ष करने पर मजबूर किया, लेकिन पासपोर्ट की जब्ती के कारण यह संभव नहीं हो सका। 2017 में, प्रिया ने महदी को बेहोश कर दिया था, लेकिन दुर्भाग्यवश, महदी की संदिग्ध ओवरडोज़ से मौत हो गई। इसके बाद, प्रिया को 2018 में गिरफ्तार किया गया और हत्या का आरोप लगाया गया। यमनी अदालत ने 2020 में उन्हें मौत की सज़ा सुनाई।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
इस मामले में भारत सरकार ने भी दखल दिया है। भारतीय अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मामले में "प्रयास जारी हैं" और सरकार प्रिया को सुरक्षित वापस लाने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 14 अगस्त के लिए तय की है और केंद्र को निर्देशित किया है कि वे राजनयिक प्रयासों के जरिए प्रिया को बचाने का रास्ता निकालें।
यह मामला केवल एक भारतीय नागरिक के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, जहां कूटनीतिक प्रयासों और अंतरराष्ट्रीय दबाव की आवश्यकता को महसूस किया जा रहा है। निमिषा प्रिया का मामला भारतीय नर्सों और प्रवासी समुदाय के लिए भी एक बड़ा उदाहरण बन सकता है, जो विदेशों में अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।