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नीदरलैंड्स ने इजरायल के मंत्रियों को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' घोषित किया

नीदरलैंड्स ने हाल ही में इजरायल के वित्त मंत्री बेसलेल स्मोट्रिच और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इटामार बेन-गविर को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' घोषित किया है। यह स्थिति एक व्यक्ति को किसी देश में अवांछित घोषित करने का संकेत है। जानें कि यह प्रक्रिया कैसे काम करती है और इसके पीछे के नियम क्या हैं।
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नीदरलैंड्स ने इजरायल के मंत्रियों को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' घोषित किया

पर्सोना नॉन ग्राटा क्या है?

हाल ही में, नीदरलैंड्स ने इजरायल के दो मंत्रियों को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' का दर्जा दिया है। इसमें वित्त मंत्री बेसलेल स्मोट्रिच और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इटामार बेन-गविर शामिल हैं। लेकिन यह 'पर्सोना नॉन ग्राटा' वास्तव में क्या है? आइए इसे विस्तार से समझते हैं।


'पर्सोना नॉन ग्राटा' एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ है 'अवांछित व्यक्ति'। इसका मतलब है कि यदि किसी व्यक्ति को किसी देश या स्थान पर अब स्वीकार नहीं किया जाता है और उसे वहां से बाहर निकाला जाता है, तो उसे 'पर्सोना नॉन ग्राटा' घोषित किया जाता है। जब एक देश किसी को इस स्थिति में डालता है, तो इसका अर्थ है कि उस व्यक्ति को उस देश में रहने की अनुमति नहीं है।


राजनयिकों के लिए सबसे बड़ी सजा

'पर्सोना नॉन ग्राटा' एक राजनयिक के लिए सबसे गंभीर सजा मानी जाती है। यह कोई साधारण मामला नहीं है। जब किसी अन्य देश के राजनयिक को इस स्थिति में रखा जाता है, तो इसका मतलब है कि उसे उस देश से निष्कासित किया जाएगा। यह नियम 1961 में वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस के तहत स्थापित किया गया था, जो देशों के बीच राजनयिक संबंधों को नियंत्रित करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय कानून है।


'पर्सोना नॉन ग्राटा नोट' क्या है?

जब किसी को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' घोषित किया जाता है, तो यह एक आधिकारिक पत्र के रूप में किया जाता है, जिसे 'पर्सोना नॉन ग्राटा नोट' कहा जाता है। यह नोट एक देश का विदेश मंत्रालय दूसरे देश के दूतावास को भेजता है, जिसमें यह बताया जाता है कि उनका राजनयिक अब उस देश में स्वागत योग्य नहीं है। हालांकि, नोट भेजने वाला देश इस निर्णय के पीछे के कारणों को बताने के लिए बाध्य नहीं होता। इस नोट के प्राप्त होने के बाद, उस व्यक्ति को 48 से 72 घंटे के भीतर उस देश को छोड़ना होता है।