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नेपाल के नए प्रधानमंत्री सुशीला कार्की का चुनावी दृष्टिकोण

नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने हाल की हिंसा और सत्ता परिवर्तन के बाद देश को नई दिशा देने का संकल्प लिया है। उन्होंने मार्च 2026 के चुनाव को लोकतंत्र की जीत का प्रतीक बताया और युवाओं से अपील की कि वे संवैधानिक बदलाव की मांग को चुनाव के माध्यम से पूरा करें। कार्की ने चुनाव की तैयारी, हिंसा की जांच और युवाओं को सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की घोषणा की। जानें उनके संबोधन की मुख्य बातें और नेपाल के लोकतांत्रिक भविष्य के लिए उनका दृष्टिकोण।
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नेपाल के नए प्रधानमंत्री सुशीला कार्की का चुनावी दृष्टिकोण

नेपाल में नई राजनीतिक दिशा

नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की: हाल ही में नेपाल में हुई हिंसा और सत्ता परिवर्तन के बाद, सुशीला कार्की ने देश को नई दिशा देने का संकल्प लिया है। अपने पहले संबोधन में, उन्होंने मार्च 2026 में होने वाले चुनाव को लोकतंत्र की जीत का प्रतीक बताया। यह संबोधन उस समय आया है जब जेन-जी के प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्टाचार और आर्थिक कुप्रबंधन के खिलाफ सड़कों पर उतरकर पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को गिरा दिया। कार्की का यह संदेश युवाओं के लिए एक नई आशा का संचार करता है।


चुनाव की तैयारी

कार्की ने बताया कि उनकी सरकार ने चुनाव आयोग के साथ मिलकर मार्च 2025 तक निष्पक्ष और भयमुक्त चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए बजट, सुरक्षा और कानूनी व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि चुनाव कानून में संशोधन कर 18 साल के युवाओं को वोट देने का अधिकार दिया गया है और मतदाता सूची का विस्तार किया गया है। यह कदम युवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।


युवाओं से अपील

कार्की ने विशेष रूप से जेन-जी पीढ़ी से आग्रह किया कि वे संवैधानिक बदलाव की मांग को चुनाव के माध्यम से पूरा करें। उन्होंने कहा, "युवाओं को ऐसे सक्षम नेताओं का चयन करना चाहिए जो उनकी आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व कर सकें।" इसके साथ ही, उन्होंने राजनीतिक दलों, नागरिक समाज और मीडिया से निष्पक्ष चुनाव के लिए सहयोग की अपील की। कार्की ने शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने की भी गुहार लगाई।


हिंसा की जांच

हाल की हिंसा की जांच: हाल की हिंसा में 72 लोगों की मौत के मामले की जांच के लिए कार्की ने रिटायर्ड जज गौरी बहादुर कार्की की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति को तीन महीने में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। कार्की ने 8 और 9 सितंबर के प्रदर्शनकारियों को "शहीद" घोषित करने का वादा किया है, जो सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है।


संवैधानिक प्रक्रिया

संवैधानिक रास्ता: कार्की ने स्पष्ट किया कि संविधान संशोधन और शासन व्यवस्था जैसे जटिल मुद्दे अंतरिम सरकार के दायरे से बाहर हैं। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे इन बदलावों को संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से लागू करें। यह संदेश नेपाल के लोकतांत्रिक भविष्य को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।