नेपाल के प्रधानमंत्री का सोशल मीडिया पर सख्त रुख, कानून का पालन अनिवार्य

नेपाल के प्रधानमंत्री का कड़ा संदेश
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार किसी भी प्रकार की कानूनहीनता और अहंकार को बर्दाश्त नहीं करेगी। ओली ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि जनरेशन जेड विद्रोह की योजना बना रही है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार सोशल नेटवर्किंग प्लेटफार्मों के खिलाफ नहीं है, लेकिन वे अपने देश की गरिमा और कानून का उल्लंघन नहीं सहेंगे। पिछले एक वर्ष से, नेपाल सरकार ने सोशल नेटवर्क कंपनियों से अनुरोध किया है कि वे नेपाल के कानूनों के तहत पंजीकरण कराएं, कर भरें और जवाबदेह बनें। लेकिन इन कंपनियों का कहना है कि उन्हें नेपाल के संविधान की जानकारी नहीं है।
ओली ने आगे कहा कि जब सरकार इन कंपनियों पर सख्ती करती है, तो कुछ बुद्धिजीवी यह शिकायत करते हैं कि इससे नौकरियां प्रभावित होंगी। इस पर उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि क्या कुछ नौकरियां राष्ट्रीय स्वाभिमान से अधिक महत्वपूर्ण हैं? यदि स्वाभिमान के लिए कुछ नौकरियां अस्थायी रूप से चली जाती हैं, तो नई नौकरियां भी आएंगी। ये कंपनियां एक साथ ऑपरेटर, प्रबंधक और उपभोक्ता नहीं बन सकतीं।
यह बयान उस समय आया है जब नेपाल सरकार सोशल मीडिया कंपनियों पर स्थानीय कानूनों का पालन करने का दबाव बना रही है। ओली ने कहा कि देश की सार्वभौमिकता और आत्म-सम्मान सर्वोपरि हैं, और इसके लिए अस्थायी नुकसान भी सहन किया जा सकता है।
कुछ बुद्धिजीवियों का मानना है कि ओली का यह बयान नेपाल और बड़ी टेक कंपनियों के बीच टकराव को बढ़ा सकता है। यह ध्यान देने योग्य है कि नेपाल ने यह कदम भारत सरकार द्वारा सोशल मीडिया कंपनियों पर उठाए गए सख्त कदमों के संदर्भ में उठाया है। अब नेपाल भी सोशल मीडिया पर सख्त कार्रवाई करने की योजना बना रहा है।