नेपाल में Gen Z प्रदर्शनों का उग्र रूप: सुषिला कार्की बनीं अंतरिम नेता

नेपाल में जारी जन आंदोलन
Nepal Protest: नेपाल में जनरेशन Z द्वारा चलाए जा रहे प्रदर्शनों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। 8 सितंबर को शुरू हुए इन हिंसक प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या 30 तक पहुंच गई है, जबकि 1,000 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। काठमांडू सहित कई क्षेत्रों में सरकारी इमारतों में आग लगाई गई, जेलों पर हमले किए गए और सुरक्षाबलों के साथ झड़पें हुईं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को कर्फ्यू लागू करना पड़ा।
सुषिला कार्की का चयन
इस बीच, नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुषिला कार्की को Gen Z आंदोलनकारियों ने अंतरिम सरकार का प्रमुख चुना है। 72 वर्षीय कार्की को उनकी ईमानदारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ छवि के कारण युवाओं का समर्थन मिला है। उन्होंने कहा कि वे देश को इस कठिन समय से बाहर निकालने के लिए तैयार हैं।
युवाओं का विश्वास
सुषिला कार्की, जो नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं, ने 2016 में न्यायपालिका की कमान संभाली थी। वे 2006 में संविधान निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं। कार्की ने कहा, "युवाओं ने मुझ पर भरोसा जताया है, मैं इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए पूरी निष्ठा से तैयार हूं।"
काठमांडू में सुरक्षा स्थिति
काठमांडू की सड़कों पर सेना तैनात है और कर्फ्यू लागू किया गया है। सुरक्षाबलों ने चेतावनी दी है कि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट और कई मंत्रियों के निवास पर धावा बोला।
हवाई सेवाओं की बहाली
लगभग 24 घंटे के ठहराव के बाद, काठमांडू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उड़ानें फिर से शुरू हो गई हैं। एयर इंडिया की फ्लाइट ने सबसे पहले लैंडिंग की, जबकि नेपाल एयरलाइंस ने पहला आउटबाउंड फ्लाइट संचालित किया। भारत सरकार ने एयर इंडिया और इंडिगो को दिल्ली-काठमांडू के बीच अतिरिक्त उड़ानें चलाने के निर्देश दिए हैं ताकि फंसे भारतीयों को निकाला जा सके।
जेलों से कैदियों का भागना
प्रदर्शनों के दौरान जेलों पर हमले हुए और सुरक्षाबलों के साथ झड़प में कम से कम पांच नाबालिग कैदियों की मौत हो गई। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, देशभर की जेलों से 7,000 से अधिक कैदी भाग निकले हैं।
वैश्विक प्रतिक्रिया
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन और अन्य देशों ने संयम बरतने और स्थिरता बनाए रखने की अपील की है। नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने युवाओं के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का समर्थन किया है, लेकिन उन्होंने हिंसा और रक्तपात की निंदा की है।