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नेपाल में जन-जी प्रदर्शन: भारत की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर प्रभाव

नेपाल में हाल ही में शुरू हुए जन-जी प्रदर्शन ने देश की मौजूदा सरकार को गिरा दिया है, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। इस अस्थिरता का भारत की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। व्यापारिक संबंधों में रुकावट, पर्यटन उद्योग को नुकसान और सीमा पर सुरक्षा चिंताएं बढ़ने की संभावना है। जानें इस स्थिति के पीछे के कारण और इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।
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नेपाल में जन-जी प्रदर्शन: भारत की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर प्रभाव

नेपाल में जन-जी प्रदर्शन का उभार

नेपाल में जन-जी प्रदर्शन: भारत के पड़ोसी देश नेपाल में हालात काफी तनावपूर्ण हैं। यहां की सरकार ने 4 सितंबर को सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया था, जिसके बाद 8 सितंबर को युवाओं ने जन-जी प्रदर्शन शुरू किया। इस विरोध ने इतना जोर पकड़ा है कि इसकी चर्चा भारत और अमेरिका सहित पूरी दुनिया में हो रही है। जन-जी ने नेपाल की मौजूदा सरकार को गिराने में सफलता प्राप्त की है, जिसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडाल ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। वर्तमान में, नेपाल की सेना ने स्थिति को नियंत्रण में लाने का प्रयास किया है।


भारत-नेपाल के व्यापारिक संबंध

भारत-नेपाल का व्यापार मजबूत


भारत और नेपाल के बीच व्यापारिक संबंध गहरे हैं। नेपाल भारत से तेल, बिजली, दवाएं और अन्य सेवाएं प्राप्त करता है। नेपाल में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं भी भारत द्वारा संचालित हैं, जो वहां रोजगार के अवसर बढ़ाती हैं। नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार भारत है, इसलिए यदि हिंसा बढ़ती है, तो यह आयात-निर्यात के कार्यों को प्रभावित कर सकती है।


इंफ्रास्ट्रक्चर और पावर प्रोजेक्ट्स पर प्रभाव

इंफ्रास्ट्रक्चर और पावर प्रोजेक्ट्स में रुकावट


नेपाल में हिंसक घटनाओं का असर बड़े प्रोजेक्ट्स पर भी पड़ता है। कई हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स और ट्रांसमिशन लाइनिंग का कार्य इस स्थिति के कारण प्रभावित हो सकता है। यदि कोई नए प्रोजेक्ट्स शुरू होने वाले थे, तो राजनीतिक अस्थिरता के कारण उन्हें भी रोकना या देरी करना पड़ सकता है।


पर्यटन उद्योग पर असर

पर्यटन उद्योग पर असर


हालांकि, नेपाल की अर्थव्यवस्था पर पर्यटन का बड़ा प्रभाव पड़ता है, लेकिन भारत पर भी इसके नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। लोग नेपाल में होटलों और टिकटों की बुकिंग करते हैं, जिससे ट्रैवल कंपनियों और एयरलाइन उद्योग को नुकसान हो सकता है।


भारत के लिए सुरक्षा चिंताएं

नेपाल का तनाव भारत के लिए असुरक्षा का कारण


भारत-नेपाल की सीमा लगभग 1,750 किलोमीटर लंबी है, जो ज्यादातर खुली है। हिंसा और अस्थिरता के समय हथियारों की तस्करी, स्मगलिंग और अन्य अवैध गतिविधियों में वृद्धि हो सकती है। इससे भारत को अपनी सीमा पर चौकसी बढ़ानी पड़ेगी और अधिक सैनिकों की तैनाती करनी पड़ सकती है, जिससे सुरक्षा खर्च में वृद्धि होगी।


भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

भारत की अर्थव्यवस्था संकट में कैसे?


भारत के पड़ोसी देश जैसे नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका भारत के महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार हैं। अस्थिरता के कारण व्यापार में कमी आ सकती है। भारत के लिए यह चिंता का विषय है, क्योंकि वह पहले से ही अमेरिका के 50% टैरिफ का सामना कर रहा है। नेपाल में हालात बिगड़ने से निर्यातकों को नुकसान, माल की डिलीवरी में देरी और रुकावट का सामना करना पड़ सकता है।


भारत का अनुभव

पहले भी झेल चुका है भारत


यह पहली बार नहीं है जब भारत ने अपने पड़ोसी देशों में हिंसा और अस्थिरता का सामना किया है। पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश, श्रीलंका और अफगानिस्तान में भी ऐसे हालात बने हैं। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के समय पूर्व पीएम शेख हसीना को भारत में आश्रय दिया गया था। वहीं, श्रीलंका में अस्थिरता के कारण कई कंपनियों को नुकसान हुआ। अफगानिस्तान में अराजकता के चलते भारत में सुरक्षा का खतरा बढ़ गया है।