नेपाल में जनरेशन Z का आंदोलन: क्या है इस नई क्रांति का कारण?

नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल
नेपाल, जो भारत का पड़ोसी देश है, वर्तमान में एक गंभीर राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। काठमांडू की सड़कों से लेकर राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास, संसद और सुप्रीम कोर्ट तक जनसैलाब उमड़ रहा है। यह आंदोलन इतना तीव्र हो गया है कि राजधानी में आगजनी और हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं। कई सरकारी इमारतों को भी आग के हवाले कर दिया गया है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनके पांच मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
ओली का सत्ता से अलग होना
नेपाल की सेना के हस्तक्षेप के बाद, ओली ने सत्ता से खुद को अलग कर लिया है, लेकिन इसके बावजूद प्रदर्शन जारी हैं। त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट को बंद कर दिया गया है, और भारत के विदेश मंत्रालय ने अपने नागरिकों को नेपाल की यात्रा से बचने की सलाह दी है.
Gen Z: नई क्रांति के अगुआ
इस आंदोलन का केंद्र एक नई पीढ़ी है, जिसे Gen Z (जनरेशन ज़ेड) कहा जा रहा है। ये युवा 1997 से 2012 या 2015 के बीच जन्मे हैं और इन्हें 'डिजिटल नेटिव' माना जाता है। इनका बचपन मोबाइल, लैपटॉप, इंटरनेट और सोशल मीडिया के साथ बीता है.
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध का प्रभाव
जब नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया, तो यह Gen Z के लिए एक व्यक्तिगत हमले जैसा महसूस हुआ। यह पीढ़ी सोशल मीडिया का उपयोग केवल मनोरंजन के लिए नहीं करती, बल्कि यह उनके संवाद और विचारों का मुख्य मंच है। इस निर्णय ने युवाओं में गुस्से की लहर पैदा कर दी.
Gen Z की विशेषताएँ
Gen Z की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये जागरूक, सक्रिय और संवेदनशील हैं। ये वर्ग, जाति, जेंडर और क्षेत्र के भेदभाव को नकारते हैं और समानता, समावेशन और पारदर्शिता के मूल्यों में विश्वास रखते हैं. ये पारंपरिक नौकरी और नेताओं के खोखले वादों पर भरोसा नहीं करते.
तकनीक और सामाजिक जागरूकता
हालांकि Gen Z तकनीक की पीढ़ी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ये केवल स्क्रीन तक सीमित हैं। यह पीढ़ी जलवायु परिवर्तन, मानवाधिकार, महिला समानता और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों के प्रति जागरूक है. नेपाल का वर्तमान आंदोलन इस बात का प्रमाण है कि जब यह पीढ़ी अन्याय के खिलाफ खड़ी होती है, तो सत्ता को झुकने पर मजबूर कर देती है.
क्या नेपाल में बदलाव संभव है?
नेपाल की राजधानी जल रही है, लेकिन केवल आग से नहीं, बल्कि आवाज़ों और बदलाव की मांग से। यह आंदोलन दर्शाता है कि एशिया में अब राजनीति केवल उम्रदराज नेताओं की बपौती नहीं रही। Gen Z अब केवल देखने या सहने की भूमिका में नहीं, बल्कि नेतृत्व की भूमिका में है. यह क्रांति फेसबुक पोस्ट से शुरू होकर राष्ट्रपति भवन की दीवारों तक पहुंची है, जो बताती है कि भविष्य किसके हाथ में होगा.