नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल: भारत, चीन और अमेरिका की परियोजनाओं पर असर

नेपाल में राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल का प्रभाव
नेपाल में परियोजनाएं: हाल की राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल नेपाल में केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभाव डाल रही है। देशभर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों और आंदोलनों के कारण विकास कार्य ठप हो गए हैं, जिससे भारत, चीन, अमेरिका और जापान जैसी देशों की महत्वपूर्ण परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं। इस स्थिति से निवेशक देशों को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ रणनीतिक रूप से भी पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो सकती है।
भारत: नेपाल का पारंपरिक सहयोगी
भारत का सहयोग
भारत नेपाल का पारंपरिक और निकटतम सहयोगी है, जहां कई बुनियादी ढांचा परियोजनाएं चल रही हैं। सड़क, पुल और रेल परियोजनाओं के अलावा, भारत ने अरुण-3 जैसे बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स में भी निवेश किया है। इसके साथ ही, शिक्षा, स्वास्थ्य और भूकंप पुनर्वास योजनाओं में भी भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
चीन का भारी निवेश
चीन का निवेश
चीन नेपाल में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत भारी निवेश कर रहा है। तिब्बत से काठमांडू को जोड़ने वाली संभावित रेलवे परियोजना, रिंग रोड विस्तार और कई ऊर्जा योजनाएं चीन के प्रभाव को बढ़ा रही हैं। चीन भारत के प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति पर कार्य कर रहा है।
जापान का ध्यान
जापान का फोकस
जापान का ध्यान मानव संसाधन विकास और शहरी अवसंरचना पर है। JICA की सहायता से जल आपूर्ति सुधार, सीवरेज सिस्टम और शिक्षा-स्वास्थ्य से जुड़ी परियोजनाएं नेपाल में चल रही हैं। अमेरिका की प्रमुख भागीदारी MCC (मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन) के तहत है, जिसमें 500 मिलियन डॉलर की सहायता से सड़क और बिजली लाइनें विकसित की जा रही हैं। इसके अलावा, अमेरिका ने लोकतंत्र, सुशासन और स्वास्थ्य सेवाओं में भी योगदान दिया है।
पर्यावरणीय परियोजनाएं
पर्यावरणीय परियोजनाएं
यूरोपीय संघ, स्विट्जरलैंड, जर्मनी और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां भी नेपाल में कई सामाजिक और पर्यावरणीय परियोजनाओं में सक्रिय हैं। लेकिन मौजूदा अशांति के कारण ये सभी परियोजनाएं खतरे में हैं। नेपाल के लिए यह चुनौती है कि वह बाहरी सहयोग का सही संतुलन बनाए रखे और किसी एक देश की ओर अधिक झुकाव से बचे, ताकि विकास कार्य बाधित न हों और राष्ट्रीय हित सुरक्षित रहें।