नेपाल में राजनीतिक संकट: केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद नई चुनौतियाँ
नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे ने राजनीतिक अस्थिरता को जन्म दिया है। इस स्थिति में काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह और पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की के नाम चर्चा में हैं। जानें कैसे युवा वर्ग इस संकट को प्रभावित कर रहा है और क्या संभावनाएँ बन रही हैं।
Sep 10, 2025, 18:37 IST
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नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता का दौर
नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल उत्पन्न हो गया है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के बाद हुए हिंसक प्रदर्शनों में 19 लोगों की जान गई, जिनमें अधिकतर छात्र शामिल थे। यह आंदोलन अब राजनीतिक अभिजात वर्ग के खिलाफ एक व्यापक जन आंदोलन में बदल चुका है। 2008 में राजशाही के अंत के बाद से यह नेपाल के नवजात लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा संकट है। इस अशांति ने राजनीतिक अभिजात वर्ग और देश के युवा वर्ग के बीच गहरी खाई को उजागर किया है। केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह, जिन्हें बालेन शाह के नाम से जाना जाता है, नए प्रधानमंत्री के संभावित चेहरे के रूप में उभरे हैं। 33 वर्षीय बालेन शाह ने सोशल मीडिया पर युवाओं का समर्थन किया था, लेकिन कहा जा रहा है कि उन्होंने सत्ता संभालने में कोई रुचि नहीं दिखाई है।
जेन जेड प्रदर्शनकारियों की ऑनलाइन बैठक
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए जेन जेड प्रदर्शनकारियों ने एक ऑनलाइन बैठक आयोजित की थी, जिसमें 5000 से अधिक युवाओं ने भाग लिया। बालेन्द्र शाह, जो अभी तक इस आंदोलन के नेता माने जा रहे हैं, ने युवाओं की अपील का कोई जवाब नहीं दिया और उनकी कॉल का भी जवाब नहीं दिया। इसके बाद चर्चा अन्य संभावित नामों की ओर बढ़ गई, जिसमें पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को सबसे अधिक समर्थन मिला। रिपोर्टों के अनुसार, कार्की ने पीएम पद के लिए कम से कम 1,000 लिखित समर्थन पत्र की शर्त रखी थी, और उन्हें 2500 से अधिक समर्थन पत्र प्राप्त हुए हैं।
सुशीला कार्की का परिचय
कौन हैं सुशीला कार्की
सुशीला कार्की 11 जुलाई, 2016 को नेपाल की मुख्य न्यायाधीश बनीं और यह पद संभालने वाली पहली महिला हैं। दिलचस्प बात यह है कि उनकी सिफारिश तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी ओली की अध्यक्षता वाली संवैधानिक परिषद ने की थी, और अब वह ओली की जगह ले सकती हैं। खबरों के अनुसार, कुछ जेनरेशन जेड कार्यकर्ता उनके पक्ष में हैं, जबकि वे अन्य नामों पर भी विचार कर रहे हैं। कार्की भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त रुख के लिए जानी जाती हैं और उन्होंने बीएचयू, वाराणसी से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है।