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नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ युवा प्रदर्शन: संसद में घुसपैठ और एक की मौत

नेपाल में सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगाने के बाद, जेनरेशन Z के युवा सड़कों पर उतर आए हैं। काठमांडू में प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसपैठ की, जिससे हिंसक झड़पें हुईं और एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान, युवाओं ने प्रधानमंत्री ओली के प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और कई स्थानों पर पुतले जलाए। जानें इस आंदोलन की पूरी कहानी और इसके पीछे के कारण।
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नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ युवा प्रदर्शन: संसद में घुसपैठ और एक की मौत

नेपाल में युवा विरोध प्रदर्शन


नेपाल में युवा विरोध प्रदर्शन: नेपाल सरकार द्वारा प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगाने के बाद, देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। यह कदम भ्रष्टाचार और सेंसरशिप के खिलाफ जनता के गुस्से को और बढ़ा रहा है। जेनरेशन Z के लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए हैं और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं।


काठमांडू में, प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसकर सुरक्षा बलों के साथ झड़प की, जिससे स्थिति हिंसक हो गई। पुलिस ने लाठियों, आंसू गैस, और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया, और कुछ स्थानों पर गोलियां चलाईं। एक प्रदर्शनकारी की अस्पताल में गोली लगने से मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं।


काठमांडू के न्यू बानेश्वर क्षेत्र और झापा के दमक जिले में स्थिति विशेष रूप से तनावपूर्ण है, जहां प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री ओली का पुतला जलाया और नगरपालिका कार्यालय में घुसने का प्रयास किया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए नेपाली सेना को तैनात किया गया है।


हताहत और चिकित्सा सहायता

पुलिस की गोलीबारी में कई प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं, जिन्हें एवरेस्ट और सिविल अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कार्यकर्ता रोनेश प्रधान ने बताया कि "हामी नेपाल" के स्वयंसेवकों ने मैतीघर में प्राथमिक चिकित्सा शिविर स्थापित किए हैं, जहां कई घायलों का इलाज किया जा रहा है।


"हामी नेपाल" आंदोलन

"हामी नेपाल" (हम नेपाल) के बैनर तले रैलियाँ सोमवार तड़के मैतीघर से शुरू हुईं। आयोजकों ने छात्रों से शांतिपूर्ण प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में वर्दी पहनकर और किताबें लेकर शामिल होने का आग्रह किया। ये विरोध प्रदर्शन #NepoKid और #NepoBabies जैसे हैशटैग वाले वायरल ऑनलाइन अभियानों के बीच हो रहे हैं, जिनमें सरकार की कार्रवाई की आलोचना की जा रही है।


सोशल मीडिया पर प्रतिबंध का कारण

नेपाल सरकार ने मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप), अल्फाबेट (यूट्यूब), एक्स (पूर्व में ट्विटर), रेडिट और लिंक्डइन जैसी वैश्विक तकनीकी कंपनियों को स्थानीय स्तर पर पंजीकरण के लिए सात दिनों की समय सीमा दी थी। जब किसी ने इसका पालन नहीं किया, तो अधिकारियों ने पिछले गुरुवार को देशव्यापी प्रतिबंध लगा दिया।


अधिकारियों का कहना है कि ये प्लेटफार्म नफरत, फर्जी अकाउंट, गलत सूचना और साइबर अपराध को बढ़ावा दे रहे थे, जिससे "सामाजिक सद्भाव के लिए खतरा" उत्पन्न हो रहा था। लेकिन नेपाल के युवाओं के लिए, यह प्रतिबंध पहले से ही कमजोर लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले के रूप में देखा जा रहा है।