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नेपाल संकट: युवा आंदोलन और लोकतंत्र की चुनौतियाँ

नेपाल में हाल ही में जेन-जेड आंदोलन के चलते राजनीतिक संकट उत्पन्न हुआ है, जिसने संसद भवन और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर हिंसा को जन्म दिया। इस आंदोलन ने युवा पीढ़ी की आवाज को उठाया है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप कई लोगों की जान गई है। सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया, जिससे जनता में आक्रोश बढ़ा। इस संकट ने नेपाल की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। जानें इस संकट के पीछे के कारण और इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।
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नेपाल संकट: युवा आंदोलन और लोकतंत्र की चुनौतियाँ

नेपाल में राजनीतिक संकट का उदय


डा. अवधेश कुमार | हाल के दिनों में जेन-जेड आंदोलन के कारण नेपाल में राजनीतिक संकट उत्पन्न हुआ है। यह आंदोलन सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटाने की मांग से शुरू हुआ, लेकिन इसके परिणामस्वरूप संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर हिंसा हुई। इसे नेपाल की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर एक गंभीर हमला माना जा रहा है।


इस संकट से निपटने के लिए सेना को सड़कों पर उतरना पड़ा और अंतरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। संविधान में बदलाव की बातें भी हो रही हैं। यह आंदोलन उन देशों के नेताओं के लिए एक सबक है जो युवा पीढ़ी की अनदेखी कर रहे हैं।


नेपाल, जो दक्षिण एशिया का सबसे युवा लोकतांत्रिक देश है, ने 2008 में एक जनआंदोलन के माध्यम से राजशाही का अंत किया। तब से 14 सरकारें बदल चुकी हैं। वर्तमान में, प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दहाल 'प्रचंड' को कम्युनिस्ट पार्टी के सहयोग से सत्ता में लाया गया था, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के कारण उन्हें समर्थन खोना पड़ा।


नेपाली कांग्रेस के समर्थन से केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री का पद संभाला, लेकिन भ्रष्टाचार और आर्थिक असमानता के आरोपों के कारण उनकी सरकार भी संकट में आ गई। विश्व बैंक के अनुसार, 2024 में नेपाल की प्रति व्यक्ति आय केवल 1447 अमेरिकी डॉलर थी। इस स्थिति ने युवाओं में आक्रोश पैदा किया, जिसके परिणामस्वरूप जेन-जेड आंदोलन शुरू हुआ।


सरकार ने 4 सितंबर को 26 सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसे जनता ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना। नेपाल की युवा आबादी में 90 प्रतिशत लोग सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, और बेरोजगारी की दर 20 प्रतिशत से अधिक है।


8 सितंबर को काठमांडू में शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू हुआ, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर पुलिस को गोली चलानी पड़ी, जिससे कई लोगों की जान गई। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और अन्य सरकारी इमारतों को आग के हवाले कर दिया।


प्रदर्शनकारियों ने मीडिया हाउस 'कांतिपुर' पर भी हमला किया, जिससे उनकी वेबसाइट और टेलीविजन चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज का प्रसारण रुक गया। यह आंदोलन काठमांडू से बाहर कई शहरों में फैल गया, जिसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।


नेपाल में राजनीतिक संकट के पीछे कई कारण हैं, जिनमें ललिता निवास जमीन घोटाला प्रमुख है। यह घोटाला 1991 से चल रहा है और इसकी जांच के लिए 2017 में एक समिति का गठन किया गया था।


नेपाल की अर्थव्यवस्था रेमिटेंस पर निर्भर है, और बेरोजगारी के कारण युवा विदेशों में पलायन कर रहे हैं। इस स्थिति ने आंदोलन को और भी भड़काया। हालांकि, आंदोलन का उद्देश्य सकारात्मक था, लेकिन हिंसा ने इसे नकारात्मक बना दिया।


इस संकट ने नेपाल की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। व्यापार ठप हो गया है, पर्यटन प्रभावित हुआ है, और विदेशी निवेश में कमी आई है। यह स्थिति लोकतांत्रिक देशों के लिए चिंता का विषय है।