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नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ऊंची इमारतों के निर्माण के लिए नए नियम

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ऊंची इमारतों के निर्माण के लिए नए नियमों की घोषणा की गई है। प्रीमियम परचेजेबल एफएआर की व्यवस्था के तहत डेवलपर्स को अधिक निर्माण की अनुमति मिलेगी। इससे क्षेत्र में निवेशकों के लिए नए अवसर खुलेंगे। जानें इस नई व्यवस्था के तहत इमारतों की ऊंचाई में कितनी वृद्धि हो सकती है और इससे शहर के स्काईलाइन में क्या बदलाव आएगा।
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नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ऊंची इमारतों के निर्माण के लिए नए नियम

नोएडा में ऊंची इमारतों का निर्माण

Greater Noida News: नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण क्षेत्र में ऊंची इमारतों के निर्माण का मार्ग अब और स्पष्ट हो गया है। आने वाले समय में ये क्षेत्र देश की सबसे ऊंची आवासीय और व्यावसायिक इमारतों का गवाह बनेगा। पहली बार औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्रों के लिए एकीकृत भवन विनियमावली (बिल्डिंग बायलॉज) में प्रीमियम परचेजेबल एफएआर की व्यवस्था शामिल की जा रही है। इसका मसौदा इन्वेस्ट यूपी द्वारा तैयार किया गया है, जिस पर 22 सितंबर को चर्चा की जाएगी।


प्रीमियम परचेजेबल एफएआर क्या है?

एफएआर, यानी फ्लोर एरिया रेशियो, यह निर्धारित करता है कि किसी भूमि पर कितना निर्माण किया जा सकता है। नई व्यवस्था के तहत, डेवलपर्स अब बेसिक एफएआर के दो से तीन गुना तक अतिरिक्त एफएआर खरीद सकेंगे। हालांकि, इसके लिए उन्हें दोगुनी दर पर भुगतान करना होगा। इसके बदले में, उन्हें इमारत की ऊंचाई बढ़ाने और अधिक ग्राउंड कवरेज का लाभ मिलेगा।


इमारतों की ऊंचाई में वृद्धि

नई इमारतें मौजूदा इमारतों की तुलना में दो से पांच गुना तक ऊंची हो सकेंगी। इससे शहर के स्काईलाइन में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा और अब तक की सबसे ऊंची इमारतों का रिकॉर्ड भी टूट सकता है।


निवेशकों को लाभ

बिल्डर अब अधिक एफएआर खरीदकर ज्यादा फ्लोर और यूनिट बना सकेंगे। इससे भूमि का बेहतर उपयोग होगा और निवेशकों के लिए यह क्षेत्र और आकर्षक बन जाएगा। पुराने प्लॉट आवंटन वाले भी खाली भूमि पर इसका लाभ उठा सकेंगे, हालांकि उन्हें ऊंचाई बढ़ाने की अनुमति नहीं होगी, केवल ग्राउंड कवरेज बढ़ेगा।


नियमों में बदलाव

पुरानी व्यवस्था में एफएआर का लाभ तभी मिलता था जब 24 मीटर चौड़ी सड़क हो और कम से कम 1800 वर्ग मीटर का प्लॉट हो। अब संभावना है कि इन मानकों को कुछ हद तक संशोधित किया जाए। नए नियमों में न्यूनतम प्लॉट आकार बढ़ाया जा सकता है।


आगे की प्रक्रिया

ड्राफ्ट पर 22 सितंबर को अधिकारियों की बैठक होगी। उसके बाद सुझाव और आपत्तियां आम जनता से मांगी जाएंगी। बोर्ड की मंजूरी और शासन से अनुमति के बाद गजट नोटिफिकेशन जारी होगा, फिर गाइडलाइंस बनाई जाएंगी और उन्हें लागू किया जाएगा।