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नोएडा में 9 करोड़ का साइबर फ्रॉड: अस्पताल के रिकवरी ऑफिसर का खुलासा

नोएडा में एक बड़ा साइबर फ्रॉड सामने आया है, जिसमें 9 करोड़ रुपये की ठगी की गई है। आरोपियों ने अस्पताल के रिकवरी ऑफिसर के रूप में काम करते हुए एमसीडी के खाते में धोखाधड़ी से बदलाव किया। पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और जांच शुरू कर दी है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और कैसे यह ठगी की गई।
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नोएडा में 9 करोड़ का साइबर फ्रॉड: अस्पताल के रिकवरी ऑफिसर का खुलासा

नोएडा में बड़ा साइबर फ्रॉड

नोएडा समाचार: नोएडा में 9 करोड़ रुपये के साइबर फ्रॉड का मामला सामने आया है, जिसमें दिल्ली का भी हाथ है। नोएडा साइबर क्राइम पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर इस मामले का खुलासा किया है। आरोपियों के पास से 77 हजार रुपये की ठगी की रकम बरामद की गई है। यह ठगी एक अस्पताल के संचालक के सहयोग से की गई थी। पकड़े गए आरोपियों की पहचान वैभव कुमार और अंकुर त्यागी के रूप में हुई है, जो गाजियाबाद के इंदिरापुरम के निवासी हैं।


घटना का विवरण

आरोपी वैभव अस्पताल में रिकवरी ऑफिसर के रूप में कार्यरत था। उसने दिल्ली एमसीडी के माध्यम से कैशलेस भुगतान की राशि को अस्पताल के खाते में बदलकर अपने खाते में ट्रांसफर करवा लिया। यह राशि लगभग 9 करोड़ रुपये थी। वैभव ने अस्पताल की आधिकारिक ईमेल आईडी से एमसीडी के खाते के विवरण को बदलने का अनुरोध किया। इसके बाद, एमसीडी ने सैकड़ों मरीजों के मेडिकल बिल का भुगतान वैभव द्वारा दिए गए नए खातों में कर दिया। वैभव ने इस राशि को अपने अन्य साथियों के माध्यम से निकालकर बांट लिया।


आरोपियों का आपसी संबंध

पुलिस पूछताछ में वैभव ने बताया कि वह पहले कड़कड़डूमा दिल्ली के एक अस्पताल में काम करता था, जहां उसकी मुलाकात विजय कुमार अग्रवाल और अंकुर त्यागी से हुई। अंकुर अपने रिश्तेदार के साथ अस्पताल चलाता था। इसी दौरान उनकी दोस्ती हुई और वैभव नोएडा के अस्पताल में रिकवरी ऑफिसर बन गया। विजय ने उन्हें सलाह दी कि यदि वह अस्पताल के खाते को बदलकर एमसीडी को नया खाता भेज दें, तो पैसे ट्रांसफर हो जाएंगे। शुभम, जो आरोपियों का दोस्त है, ने नए बैंक खातों की जानकारी दी, लेकिन वह अभी फरार है।


एमसीडी कर्मचारियों की जांच

पुलिस ने इस ठगी में शामिल एमसीडी के कर्मचारियों की भी जांच शुरू कर दी है। आशंका है कि ठगी की राशि का कुछ हिस्सा उन कर्मचारियों के पास भी पहुंचा है, जिससे यह राशि आसानी से अन्य खातों में ट्रांसफर की गई। बड़ी रकम होने के बावजूद कोई जांच नहीं की गई।