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पंजाब में आवारा पशुओं के प्रबंधन के लिए नई योजना का शुभारंभ

पंजाब सरकार ने आवारा पशुओं की समस्या के समाधान के लिए एक नई योजना की शुरुआत की है, जिसमें सभी विभागों का समन्वय और पीड़ितों को राहत देने के लिए मुआवजा नीति शामिल है। इस पहल का उद्देश्य न केवल सार्वजनिक सुरक्षा को बढ़ाना है, बल्कि पशु कल्याण के सिद्धांतों को भी मजबूत करना है। योजना के तहत गौशालाओं में आवारा पशुओं को आश्रय दिया जाएगा और शहरी निकायों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री मान इस अभियान की निगरानी कर रहे हैं, जिससे इसकी गंभीरता और प्राथमिकता स्पष्ट होती है।
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पंजाब में आवारा पशुओं के प्रबंधन के लिए नई योजना का शुभारंभ

पंजाब सरकार का ऐतिहासिक कदम


पंजाब में सड़कों पर घूमते आवारा पशुओं की समस्या को लेकर लंबे समय से उठ रही मांगों के बीच भगवंत मान सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। यह योजना राज्य के इतिहास में पहली बार लागू की जा रही है, जिसमें सभी विभागों और हितधारकों को एक साथ लाकर आवारा पशुओं के प्रबंधन, पुनर्वास और प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया को सुगम बनाया जाएगा। सरकार का दावा है कि यह अभियान न केवल सार्वजनिक सुरक्षा को बढ़ाएगा, बल्कि पशु कल्याण के सिद्धांतों को भी मजबूती प्रदान करेगा।


समन्वित योजना का कार्यान्वयन

मान सरकार का दृष्टिकोण


विधानसभा में "पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम" के संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान जिस समन्वित योजना का आश्वासन दिया गया था, उसे अब लागू किया गया है। स्थानीय सरकार मंत्री डॉ. रवजोत सिंह ने बताया कि पहली बार सभी विभाग इस समस्या के समाधान के लिए एकजुट हुए हैं। यह बहु-एजेंसी मॉडल सुनिश्चित करेगा कि आवारा पशुओं की समस्या को व्यवस्थित तरीके से नियंत्रित किया जा सके।


पीड़ितों के लिए मुआवजा योजना

आर्थिक सहायता का प्रावधान


सरकार ने पहले ही "पंजाब मुआवजा नीति 2023" लागू की है, जो उन परिवारों को तात्कालिक आर्थिक सहायता प्रदान करती है जो आवारा पशुओं के हमले या दुर्घटनाओं से प्रभावित हुए हैं। इसका उद्देश्य पीड़ितों पर अचानक आए आर्थिक बोझ को कम करना है।


गौशालाओं और आश्रय स्थलों की व्यवस्था

आश्रय की उपलब्धता


राज्यभर में अब तक 518 पंजीकृत गौशालाओं में 2 लाख से अधिक आवारा पशुओं को आश्रय दिया जा चुका है। ग्रामीण विकास विभाग ने 20 सरकारी पाउंड में 77 शेड बनवाए हैं, जबकि शहरी स्थानीय निकायों ने 10 नए आश्रय स्थल तैयार किए हैं। इस व्यवस्था का उद्देश्य सड़कों पर घूम रहे पशुओं को सुरक्षित और स्थायी स्थान प्रदान करना है।


शहरी निकायों को निर्देश और वित्तीय सहायता

संसाधनों की उपलब्धता


शहरी निकायों को नियमित दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं कि पकड़ने और देखभाल की प्रक्रिया को तेज किया जाए। गौशालाओं को Cow Cess और ULB फंड के माध्यम से आर्थिक सहायता दी जा रही है। सरकार का कहना है कि संसाधनों की कमी इस अभियान में बाधा नहीं बनने दी जाएगी और सभी व्यवस्थाएं समय पर पूरी की जाएंगी।


जिला स्तर पर निगरानी और हेल्पलाइन

सक्रिय निगरानी प्रणाली


ज़िला अधिकारियों को 31 मार्च तक आवारा पशुओं को गौशालाओं में भेजने का लक्ष्य दिया गया है। जहां भी शिकायतें आएंगी, 9646-222-555 हेल्पलाइन के जरिए तत्काल कार्रवाई की जाएगी। कई जिलों में स्थानीय गौशालाओं से समन्वय बनाते हुए आवंटित बजट CMO के माध्यम से जारी किया जा रहा है, ताकि देखभाल की प्रक्रिया निर्बाध रहे। मुख्यमंत्री मान स्वयं इस अभियान की निगरानी कर रहे हैं, जिससे इसकी गंभीरता और प्राथमिकता दोनों स्पष्ट होती हैं।