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पंजाब में किसानों का रेल रोको आंदोलन, 26 स्थानों पर धरना

पंजाब में किसानों ने आज राज्यभर में रेल रोको आंदोलन का आयोजन किया है, जिसमें 26 स्थानों पर धरना दिया जाएगा। यह आंदोलन दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक चलेगा। किसानों की मुख्य मांगें बिजली संशोधन बिल-2025 का रद्द होना और प्रीपेड मीटर को हटाना हैं। यदि सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज करती है, तो किसान संगठनों ने आंदोलन को और उग्र करने की चेतावनी दी है। जानें इस आंदोलन के पीछे की पूरी कहानी और किसानों की प्रमुख मांगें।
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पंजाब में किसानों का रेल रोको आंदोलन, 26 स्थानों पर धरना

किसानों का बड़ा आंदोलन

चंडीगढ़: पंजाब में किसानों ने आज राज्यभर में रेल रोको आंदोलन का आयोजन करने का निर्णय लिया है। इससे पहले, पुलिस ने कई किसान नेताओं को उनके घरों में नजरबंद कर दिया है। भारतीय किसान मजदूर यूनियन पंजाब के अध्यक्ष दिलबाग सिंह के निवास के बाहर पुलिस बल तैनात किया गया है। लुधियाना में इस आंदोलन का नेतृत्व दिलबाग सिंह कर रहे हैं।


यह आंदोलन पंजाब के 19 जिलों में 26 स्थानों पर आयोजित किया जाएगा। किसानों का यह रेल रोको आंदोलन दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक, यानी 2 घंटे के लिए, होगा। इस दौरान किसान रेलवे ट्रैक पर धरना देंगे।


प्रदर्शन के दौरान, अमृतसर, गुरदासपुर, पठानकोट, तरनतारन, फिरोजपुर, कपूरथला, जालंधर, होशियारपुर, पटियाला, संगरूर, फाजिल्का, मोगा, बठिंडा, मुक्तसर, मालेरकोटला, मनसा, लुधियाना, फरीदकोट और रोपड़ जैसे प्रमुख जिलों में रेलवे स्टेशनों और क्रॉसिंग पर ट्रेनों की आवाजाही रोक दी जाएगी।


किसानों की मुख्य मांगों में बिजली संशोधन बिल-2025 का मसौदा रद्द करना, प्रीपेड बिजली मीटर को हटाना, पुरानी मीटर व्यवस्था को बहाल करना और राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक संपत्तियों की बिक्री के निर्णय का विरोध शामिल है। किसान मजदूर मोर्चा के नेताओं का कहना है कि ये निर्णय जनता के खिलाफ हैं, जो किसानों, खेत मजदूरों और आम उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डालते हैं।


किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनकी मांगों की अनदेखी करती रही, तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा और इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।


किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने बड़े आंदोलन की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार उनकी मांगों को नहीं सुन रही है, इसलिए किसानों को मजबूरी में रेल रोको आंदोलन का सहारा लेना पड़ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि किसानों की मांगें नहीं मानी गईं, तो विरोध प्रदर्शन और आंदोलन को तेज किया जाएगा।