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पंजाब में प्लास्टिक प्रदूषण: स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव

पंजाब में प्लास्टिक प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं। हाल की रिपोर्टों के अनुसार, पिछले चार वर्षों में प्लास्टिक का उत्पादन 38 प्रतिशत बढ़ गया है। यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि प्लास्टिक का मानव शरीर पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। जानें इस समस्या के कारण और इसके समाधान के प्रयासों के बारे में।
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पंजाब में प्लास्टिक का बढ़ता संकट

पंजाब से एक चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है, जो हर पंजाबी को झकझोर देगी। राज्य की हवा, पानी और मिट्टी में लगातार प्लास्टिक का मिश्रण हो रहा है, जिससे पर्यावरण में गंभीर प्रदूषण फैल रहा है। इसके साथ ही, कई स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। एक अध्ययन के अनुसार, पिछले चार वर्षों में पंजाब में प्लास्टिक का उत्पादन 38 प्रतिशत बढ़ गया है।


घरों में उपयोग होने वाली अधिकांश वस्तुएं प्लास्टिक से निर्मित होती हैं। पानी की बोतलें, शैंपू, टूथपेस्ट, बिस्किट, नमक, जूस की बोतलें और कपड़े धोने का साबुन जैसे पैकेज्ड उत्पाद प्लास्टिक में लिपटे होते हैं। इनमें से कुछ प्लास्टिक को रिसाइकिल किया जाता है, लेकिन अधिकांश प्लास्टिक कचरे में मिलकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।


सरकार इस समस्या का समाधान खोजने की कोशिश कर रही है। पर्यावरण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में पंजाब में प्लास्टिक का वार्षिक उत्पादन 92,890 टन था, जो 2022-23 में बढ़कर 1,28,744.64 टन हो गया। हालांकि, सरकार प्लास्टिक के निपटान के लिए प्रयासरत है, फिर भी प्लास्टिक का उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है। जानकारी के अनुसार, जब माइक्रोप्लास्टिक मानव शरीर में प्रवेश करता है, तो यह हार्मोनल संतुलन को प्रभावित करता है, जिससे बांझपन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।