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पंजाब में बाढ़ राहत: महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर जोर

पंजाब में बाढ़ के संकट के बीच, आम आदमी पार्टी की सरकार ने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। राहत कार्यों में तेजी लाते हुए, सरकार ने गर्भवती माताओं और बच्चों के लिए विशेष योजनाएं लागू की हैं। आशा कार्यकर्ताओं की मदद से दवाइयां और आवश्यक सामग्री वितरित की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने विशेष चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया है, और गर्भवती महिलाओं की सुरक्षित डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए 24x7 सक्रियता बरती जा रही है। जानें इस संकट के दौरान सरकार की संवेदनशीलता और राहत प्रयासों के बारे में।
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पंजाब में बाढ़ राहत: महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर जोर

पंजाब में बाढ़ का संकट

Punjab News: पंजाब इस समय दशकों में आई भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। सैकड़ों गांव जलमग्न हो चुके हैं, हजारों परिवार बेघर हो गए हैं और स्थिति बेहद कठिन है। ऐसे में मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने राहत कार्यों को तेजी से अंजाम दिया है। उन्होंने महिलाओं की बुनियादी जरूरतों और गर्भवती माताओं की विशेष देखभाल कर यह साबित किया है कि संकट के समय में जनसेवा सबसे महत्वपूर्ण है। नाभा, पठानकोट, गुरदासपुर, फिरोज़पुर, फाजिल्का जैसे बाढ़ प्रभावित जिलों में सरकार ने विशेष राहत योजनाएं और चिकित्सा व्यवस्थाएं लागू की हैं। गर्भवती महिलाओं, बच्चों और महिलाओं की व्यक्तिगत स्वच्छता आवश्यकताओं को प्राथमिकता देते हुए, सरकार ने स्वास्थ्य, सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करने के लिए कई मोर्चों पर काम किया है.


महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान

बाढ़ के बीच महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा बनी प्राथमिकता

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी की महिला और युवा विंग ने राहत कार्यों को जमीनी स्तर पर अंजाम दिया। कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव जाकर राशन, आवश्यक दवाइयां, सैनिटरी पैड और मच्छरदानियां वितरित कीं। फिरोजपुर और फाजिल्का में बनाए गए राहत शिविरों में महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था की गई, जहां उन्हें सुरक्षित और गरिमामयी वातावरण में रखा गया.


आशा कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका

आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका

राज्यभर में तैनात 11,103 से अधिक आशा कार्यकर्ताओं ने इस आपदा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने घर-घर जाकर दवाइयां बांटी, जलजनित और वेक्टर जनित बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाई और गर्भवती महिलाओं की ट्रैकिंग तथा देखभाल को प्राथमिकता दी। टीकाकरण अभियान भी बिना रुके चलता रहा.

सरकार ने राहत प्रयासों के तहत 458 रैपिड रिस्पांस टीमें, 360 मोबाइल मेडिकल यूनिट, और 424 एम्बुलेंस तैनात कीं। खास बात यह रही कि जिन क्षेत्रों में सड़क संपर्क टूट गया था, वहां बोट एम्बुलेंस के जरिए गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया। गुरदासपुर में आठ गर्भवती महिलाओं को बचाया गया, जिनमें से एक महिला ने बोट पर ही सुरक्षित डिलीवरी की.


स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता

स्वास्थ्य विभाग का जमीनी एक्शन

स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में कई विशेष चिकित्सा शिविर लगाए, जहां महिलाओं के लिए प्रसव पूर्व जांच, आवश्यक दवाइयां और परामर्श सेवाएं प्रदान की गईं। सिविल सर्जनों के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह के निर्देश पर सभी गर्भवती महिलाओं की सुरक्षित डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए 24x7 सक्रियता बरती गई है। हमने टेंडी वाला की मंजीत कौर और कालू वाला की मनप्रीत कौर को सफलतापूर्वक बचाकर सिविल अस्पताल पहुंचाया.


हर घर तक राहत पहुंचाना

हर घर तक राहत

गुरदासपुर में गंभीर रूप से बीमार मरीजों और गर्भवती महिलाओं को निकालने के लिए विशेष हेलीकॉप्टर सेवा शुरू की गई। राज्य सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कोई भी रसोईघर बिना भोजन और कोई भी महिला बिना स्वच्छता उत्पादों के नहीं रहेगी.
कोई भी रसोईघर बिना भोजन के नहीं रहेगा, किसी भी महिला को व्यक्तिगत स्वच्छता उत्पादों की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा.


सुरक्षित डिलीवरी की व्यवस्था

सरकारी और निजी अस्पतालों में सुरक्षित डिलीवरी

सतलुज नदी के पास चिन्हित की गईं 45 गर्भवती महिलाओं में से पिछले सप्ताह चार सफल डिलीवरी करवाई गईं। तीन सरकारी अस्पतालों में और एक निजी पैनल में। 108 एम्बुलेंस सेवा को निशुल्क रखा गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित सहायता पहुंचाई जा सके.


सरकार की संवेदनशीलता का उदाहरण

सेवा, संकल्प और संवेदनशीलता का उदाहरण बनी मान सरकार

आप सरकार की यह पहल एक स्पष्ट संदेश देती है कि आपदा के समय सरकार का असली चेहरा उसकी संवेदनशीलता में नजर आता है। जहां केंद्रित प्रयासों से बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाई जा रही है, वहीं महिलाओं और बच्चों की गरिमा और स्वास्थ्य की रक्षा करके सरकार ने एक आदर्श मानवीय दृष्टिकोण पेश किया है.