पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट का एनकाउंटर पर महत्वपूर्ण निर्णय

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का निर्णय
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें एनकाउंटर से संबंधित मामलों पर स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। अदालत ने कहा कि यदि आतंकवादियों को जिंदा पकड़ा जाता है, तो भी यह एनकाउंटर की श्रेणी में आएगा। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि पुलिसकर्मी आतंकियों को मारने के बजाय उन्हें जिंदा पकड़ते हैं, तो यह उनकी बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक होगा।
याचिका का विवरण
यह मामला बठिंडा की निवासी सोनम कंबोज द्वारा दायर याचिका से संबंधित है। सोनम ने पंजाब पुलिस भर्ती में आरक्षित श्रेणी में आवेदन करने का अनुरोध किया था, जो उन पुलिसकर्मियों के परिजनों को दी जाती है, जिन्होंने कम से कम तीन एनकाउंटर में भाग लिया हो। याचिका के समर्थन में, उन्होंने पटियाला रेंज के डीआईजी द्वारा जारी प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत किया। हालांकि, डीजीपी की समिति ने उनकी पात्रता को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि उनके पिता केवल दो एनकाउंटर में शामिल हुए थे।
राज्य सरकार के तर्कों का खंडन
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के तर्कों को अस्वीकार कर दिया और इस प्रावधान के मूल उद्देश्य को स्पष्ट किया। अदालत ने कहा कि 1996 की नीति एक लाभकारी प्रावधान है, जिसका उद्देश्य उन बहादुर पुलिस अधिकारियों को प्रोत्साहित करना है जो अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाते हैं। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि एनकाउंटर का अर्थ केवल गोलीबारी या हताहत होना नहीं है। यदि पुलिस ने हथियारों के साथ आतंकियों को गिरफ्तार किया है, तो यह एनकाउंटर की श्रेणी में आएगा।
सोनम कंबोज के पक्ष में निर्णय
अंततः, अदालत ने सोनम कंबोज के पक्ष में निर्णय सुनाया और उन्हें भर्ती में आरक्षण का लाभ देने का आदेश दिया। इसके साथ ही, पुलिस विभाग में उनकी नियुक्ति को छह सप्ताह के भीतर सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। उनकी जॉइनिंग तिथि को उनकी वास्तविक जॉइनिंग तिथि माना जाएगा।