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पटना में पुलिस की नई तैनाती: विवादित अधिकारियों की वापसी पर सवाल

पटना में पुलिस ने 11 नए इंस्पेक्टरों की तैनाती की है, लेकिन पूर्व सदर थाना अध्यक्ष जितेंद्र राणा के विवादास्पद अतीत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। शराबबंदी के नियमों के उल्लंघन के आरोपों के बावजूद, उन्हें फिर से जिम्मेदारी दी गई है। यह मामला न केवल एक अधिकारी की लापरवाही का है, बल्कि पूरे पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाता है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे की सच्चाई।
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पटना में पुलिस की नई पहल

पटना में अपराध नियंत्रण और प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने के लिए पुलिस विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। एसएसपी पटना के अनुरोध पर, बिहार पुलिस मुख्यालय ने 11 पुलिस इंस्पेक्टरों को राजधानी में तैनात करने का निर्णय लिया है। हालांकि, जब इन अधिकारियों के पिछले रिकॉर्ड की जांच की गई, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।


इसमें सबसे प्रमुख नाम पूर्व सदर थाना अध्यक्ष जितेंद्र राणा का है, जिनका अतीत विवादों से भरा रहा है। राणा, जो बांका जिले के निवासी हैं, पूर्णिया में सदर थाना के प्रभारी रह चुके हैं। वर्ष 2020 में उन्होंने एक शपथ पत्र में दावा किया था कि उनके क्षेत्र में शराब का निर्माण या तस्करी नहीं होती। लेकिन वास्तविकता कुछ और ही थी।


स्थानीय निवासियों की शिकायतों के बाद, मद्य निषेध विभाग ने हजीरगंज वार्ड में छापेमारी की, जहां अवैध शराब निर्माण का मामला उजागर हुआ। इस कार्रवाई में भारी मात्रा में कच्चा माल बरामद किया गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि शराब निर्माण की गतिविधियां बड़े पैमाने पर चल रही थीं।


इस घटना के बाद, राणा को निलंबित कर दिया गया और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई। जांच में उन्हें शराबबंदी में गंभीर लापरवाही का दोषी पाया गया। इसके बावजूद, उन्हें निलंबन से मुक्त कर दिया गया, जिसका कारण पुलिस मुख्यालय ने अधिकारियों की कमी बताया। यह स्थिति कई सवाल उठाती है, खासकर उस राज्य में जहां शराबबंदी सरकार की प्राथमिकता है।


यह मामला केवल एक अधिकारी की लापरवाही का नहीं है, बल्कि पूरे पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है। जब एक दोषी अधिकारी को फिर से जिम्मेदारी दी जाती है, तो यह कानून के शासन और पारदर्शिता पर सीधा प्रहार है।