पशु रोग हाइपोमैग्नीसिमिया: लक्षण, उपचार और बचाव के उपाय

पशु रोग की जानकारी और बचाव के उपाय
हाइपोमैग्नीसिमिया: दुधारू पशुओं के लिए खतरा हाइपोमैग्नीसिमिया एक गंभीर पशु रोग है जो मैग्नीशियम की कमी के कारण होता है, विशेष रूप से दूध देने वाले जानवरों में।
इस रोग के लक्षणों में सिर झटकना, बार-बार मूत्र करना और उत्तेजना शामिल हैं। समय पर उपचार और सावधानी बरतने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। पशुपालकों के लिए यह जानकारी उनके पशुओं की सेहत बनाए रखने में सहायक होगी। आइए, इस रोग के लक्षण, कारण और बचाव के उपायों पर विस्तार से चर्चा करें।
लक्षणों की पहचान और उपचार
हाइपोमैग्नीसिमिया के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रभावित पशु बिना किसी कारण के सिर झटकता है, कराहता है और बार-बार मूत्र करता है। कभी-कभी, पशु बिना मोड़े चलने लगता है या हल्की आवाज पर उत्तेजित हो जाता है।
गंभीर मामलों में, पशु अचानक दौड़ने लगता है और नियंत्रण खो देता है। यदि ये लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें। समय पर उपचार से पशु को बचाया जा सकता है।
बचाव और उपचार के उपाय
हाइपोमैग्नीसिमिया से बचने के लिए पशुपालकों को सतर्क रहना चाहिए। बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के अनुसार, उच्च जोखिम वाले पशुओं को प्रतिदिन 50 ग्राम मैग्नीशियम ऑक्साइड देना चाहिए।
यह खनिज पूरक मैग्नीशियम की कमी को पूरा करता है। वसंत और बरसात के मौसम में हरे चारे में मैग्नीशियम की कमी हो जाती है, जिससे यह रोग बढ़ सकता है। नियमित खनिज मिश्रण देना और पशु चिकित्सक की सलाह लेना आवश्यक है। गंभीर मामलों में 24-48 घंटे में दोबारा उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
पशुपालकों के लिए सावधानियाँ
हाइपोमैग्नीसिमिया वसंत और प्रारंभिक बरसात में अधिकतर देखा जाता है। इस दौरान हरे चारे की अधिकता के कारण मैग्नीशियम की कमी हो सकती है। पशुपालकों को चाहिए कि वे चारे के साथ नियमित रूप से खनिज मिश्रण दें।
जागरूकता और समय पर उपचार से पशुओं का स्वास्थ्य और दूध उत्पादन सुरक्षित रह सकता है। यह जानकारी पशुपालकों को नुकसान से बचाने और उनके पशुओं को स्वस्थ रखने में मदद करेगी।