पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में उभरा असंतोष: प्रदर्शनकारियों ने उठाई 38 मांगें

मुजफ्फराबाद में तनावपूर्ण हालात
सोमवार को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के मुजफ्फराबाद में स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई, जब पाकिस्तान सरकार के खिलाफ एक बड़े विरोध प्रदर्शन ने हिंसक मोड़ ले लिया। इस झड़प में दो लोगों की जान चली गई और 22 से अधिक लोग घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारी पाकिस्तान सरकार पर मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं.
अवामी एक्शन कमेटी का नेतृत्व
पिछले 24 घंटों से अवामी एक्शन कमेटी के नेतृत्व में गुलाम कश्मीर में प्रदर्शन जारी है। लोगों ने बाजार और दुकानों को बंद कर दिया है, जिससे सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे अपने अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए सड़क पर उतरने को मजबूर हैं.
प्रदर्शनकारियों की 38 मांगें
प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान सरकार के सामने 38 मांगें रखी हैं। इनमें से एक प्रमुख मांग यह है कि पीओके विधानसभा में उन 12 सीटों को समाप्त किया जाए जो पाकिस्तान में रह रहे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन आरक्षित सीटों के कारण उनका प्रतिनिधित्व कमजोर हो रहा है और वे अपने मुद्दों को संसद में उठाने में असमर्थ हैं.
इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं का ठप होना
विरोध प्रदर्शन के चलते सरकार ने लगातार दूसरे दिन पीओके में इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं को बंद कर दिया है। इसका उद्देश्य लोगों की बड़ी संख्या में लामबंदी और सूचनाओं के प्रसार को रोकना बताया जा रहा है। लेकिन स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इससे उनकी समस्याएं और बढ़ गई हैं.
पाकिस्तान सरकार को चेतावनी
अवामी एक्शन कमेटी ने पाकिस्तान सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो आने वाले दिनों में और बड़े स्तर पर रैलियां और विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। समिति का कहना है कि अब लोग चुप बैठने वाले नहीं हैं.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा
इस पूरे मामले की गूंज अंतरराष्ट्रीय मंच तक भी पहुंची है। हाल ही में जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की 60वीं बैठक में पीओके का जिक्र किया गया। वहां बताया गया कि पाकिस्तान सरकार अपने आतंकवादी एजेंडे के लिए गुलाम कश्मीर के लोगों का शोषण कर रही है और यहां के लोग लंबे समय से पीड़ा झेल रहे हैं.
मुजफ्फराबाद की हिंसा का संकेत
मुजफ्फराबाद की हिंसा से स्पष्ट है कि पीओके में असंतोष बढ़ता जा रहा है और लोग अब खुलकर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने लगे हैं.