पाकिस्तान एयरलाइंस की नीलामी: आर्थिक संकट के बीच सरकार की नई रणनीति
पाकिस्तान सरकार ने अपनी राष्ट्रीय एयरलाइंस, पीआईए की 75% हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लिया है। यह कदम देश की गंभीर आर्थिक स्थिति और आईएमएफ के दबाव के चलते उठाया गया है। बोली प्रक्रिया में खरीदारों की कमी और कंपनी पर बढ़ते कर्ज ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। जानें इस बिक्री के पीछे के कारण और पाकिस्तान की आर्थिक रणनीतियों के बारे में।
| Dec 24, 2025, 12:41 IST
पाकिस्तान की एयरलाइंस की बिक्री की तैयारी
इस्लामाबाद में, प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) की 75% हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई है। यह कदम पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए उठाया जा रहा है, क्योंकि देश पहले ही कई बंदरगाहों और एयरपोर्ट्स को बेच चुका है। अब, नेशनल एयरलाइंस की बिक्री की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
बोली प्रक्रिया और चुनौतियाँ
बोली जमा करने की अंतिम तिथि 23 दिसंबर है, लेकिन इस प्रक्रिया में खरीदारों की कमी देखी जा रही है। सेना से जुड़ी एक खाद कंपनी ने बोली लगाने से अपना नाम वापस ले लिया है, जिससे केवल तीन दावेदार बचे हैं। यह स्थिति पाकिस्तान सरकार के लिए चिंता का विषय है।
आईएमएफ के दबाव में प्राइवेटाइजेशन
पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 1 अरब डॉलर का लोन चाहिए, जिसके लिए आईएमएफ ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण की शर्त रखी है। इसी के तहत, पाकिस्तान अपनी 24 सरकारी कंपनियों को प्राइवेट करने की प्रक्रिया में है, जिसमें पीआईए भी शामिल है।
पीआईए की वित्तीय स्थिति
पीआईए की स्थिति और भी गंभीर है, क्योंकि कई देशों ने इसकी उड़ानों पर प्रतिबंध लगा रखा है। इस कारण कंपनी पर लगभग 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज हो चुका है। प्राइवेटाइजेशन के बाद, उम्मीद है कि कंपनी की घाटे की स्थिति में सुधार होगा। पाकिस्तान ने 1958 से अब तक 20 बार आईएमएफ से लोन लिया है, और इसके दबाव में कई कठोर निर्णय लिए हैं।
